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उच्चारणं कुरुत-
सूर्यस्तपतु | जीर्णम् | शीतकालेऽपि |
वारयितुम् | ग्रीष्मे | सस्यपूर्णानि |
पदत्राणे | कण्टकावृता | क्षुधा-तृषाकुलौ |
विद्यार्थी इसे स्वयं पढ़ें।
श्लोकांशान् योजयत-
क | ख | |
गृहं जीर्णं न वर्षासु | तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः। | |
हलेन च कुदालेन | या शुष्का कण्टकावृता। | |
पादयोर्न पदत्राणे | सस्यपूर्णानि सर्वदा। | |
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि | शरीरे वसनानि नो। | |
धरित्री सरसा जाता | वृष्टिं वारयितुं क्षमम्। |
क | ख | ||
गृहं जीर्णं न वर्षासु | वृष्टिं वारयितुं क्षमम्। | ||
हलेन च कुदालेन | तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः। | ||
पादयोर्न पदत्राणे | शरीरे वसनानि नो। | ||
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि | सस्यपूर्णानि सर्वदा। | ||
धरित्री सरसा जाता | या शुष्का कण्टकावृता। |
उपयुक्तकथनानां समक्षम् 'आम्' अनुपयुक्तकथनानां समक्षं 'न' इति लिखत-
यथा- कृषकाः शीतकालेऽपि कर्मठाः भवन्ति। | आम् |
कृषकाः हलेन क्षेत्राणि न कर्षन्ति।
|
न |
(क) कृषकाः सर्वेभ्यः अन्नं यच्छन्ति। | |
(ख) कृषकाणां जीवनं कष्टप्रदं न भवति। | |
(ग) कृषकः क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि करोति। | |
(घ) शीते शरीरे कम्पनं न भवति। | |
(ङ) श्रमेण धरित्री सरसा भवति। |
यथा- कृषकाः शीतकालेऽपि कर्मठाः भवन्ति। | आम् |
कृषकाः हलेन क्षेत्राणि न कर्षन्ति।
|
न |
(क) कृषकाः सर्वेभ्यः अन्नं यच्छन्ति। | आम् |
(ख) कृषकाणां जीवनं कष्टप्रदं न भवति। | न |
(ग) कृषकः क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि करोति। | आम् |
(घ) शीते शरीरे कम्पनं न भवति। | न |
(ङ) श्रमेण धरित्री सरसा भवति। | आम् |
मञ्जूषातः पर्यायवाचिपदानि चित्वा लिखत-
रविः | वस्त्राणि | जर्जरम् | अधिकम् | पृथ्वी | पिपासा |
वसनानि | ........................... |
सूर्य | ........................... |
तृषा | ........................... |
विपुलम् | ........................... |
जीर्णम् | ........................... |
धरित्री | ........................... |
वसनानि | वस्त्राणि |
सूर्य | रविः |
तृषा | पिपासा |
विपुलम् | अधिकम् |
जीर्णम् | जर्जरम् |
धरित्री | पृथ्वी |
मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत-
धनिकम् | नीरसा | अक्षमम् | दुःखम् | शीते | पार्श्वे |
सुखम् | ........................... |
दूरे | ........................... |
निर्धनम् | ........................... |
क्षमम् | ........................... |
ग्रीष्मे | ........................... |
सरसा | ........................... |
सुखम् | दुःखम् |
दूरे | पार्श्वे |
निर्धनम् | धनिकम् |
क्षमम् | अक्षमम् |
ग्रीष्मे | शीते |
सरसा | नीरसा |
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) कृषकाः हलेन कुदालेन च क्षेत्राणि कर्षन्ति।
(ख) कृषिकाणां कर्मवीरत्वं न नश्यति।
(ग) श्रमेण धारित्री सरसा भवति।
(घ) कृषकाः सर्वेभ्यः शाकम्, अन्नम्, दुग्धम् च यच्छन्ति।
(ङ) कृषकात् दूरे सुखम् तिष्ठति।