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(क) भोला ने क्यों सोचा कि सभी झूठ बोल रहे हैं?
(ख) भोला को सारंगी का स्वाद क्यों नहीं आया?
(ग) भोला ने किस-किस तरह से यह जानने की कोशिश की कि सारंगी मीठी है?
(क) भोला ने जब सारंगी को चाट कर देखा, तो वह उसे मीठी नहीं लगी। इसलिए उसे लगा कि सब झूठ बोल रहे हैं।
(ख) भोला को सारंगी का स्वाद इसलिए नहीं आया क्योंकि सारंगी लकड़ी की बनी थी। लकड़ी बेस्वाद होती है।
(ग) भोला ने सारंगी को पूरा चाटा, उसके बात उसके छेद पर मुँह लगाकर इंतज़ार करता रहा कि वहाँ से कुछ मीठा रस गिरे परन्तु उसे कुछ हासिल नहीं हुआ।
(क) गाँव वाले कहते थे- कैसी मीठी सारंगी है! इसका क्या मतलब है? सही बात पर () निशान लगाओ।
सारंगी चखने पर मीठी थी। | |
सारंगी से निकलने वाली आवाज़ सुनने में अच्छी लगती थी। | |
सारंगी के आसपास मधुमक्खियाँ भिनभिना रही थीं। |
(ख) अब तुम समझ गए होगे कि गाँव वाले सांरगी को मीठी क्यों कहते थे। अब बताओ कड़वी बात का क्या मतलब होगा?
(क)
सारंगी चखने पर मीठी थी। | |
सारंगी से निकलने वाली आवाज़ सुनने में अच्छी लगती थी। | |
सारंगी के आसपास मधुमक्खियाँ भिनभिना रही थीं। |
(ख) जब कोई किसी को ऐसी बात कह दे जिससे किसी का दिल दुख जाए, उसे कड़वी बात कहना कहते हैं।
सारंगी वाले ने सारंगी पर खोल चढ़ाया और अपने सिरहाने रखकर सो गया।
(क) सारंगी वाले ने अपनी सारंगी पर खोल क्यों चढ़ाया होगा?
(ख) और किन-किन चीज़ों पर खोल चढ़ाया जाता है
(क) सारंगी वाले ने अपनी सारंगी को टूटने-फूटने तथा गंदगी से बचाने के लिए खोल चढ़ाया। खोल चढ़ाकर चीज़ों को खराब होने से बचाया जा सकता है।
(ख) रजाई, गद्दे, सोफ़े, तबला, गिटार, वीणा, बजाने वाला ड्रम इत्यादि पर खोल चढ़ाया जाता है।
सारंगी, ढोलक, इकतारा, तबला, बाँसुरी, शहनाई, डफली, सितार, गिटार, हारमोनियम |
(क) ऊपर संगीत के बाजों के नाम लिखे हैं। इनमें से कुछ तार छेड़ कर बजाए जाते हैं और कुछ हाथ से थाप देकर। इनके नाम सही जगह पर लिखो।
तार वाले | थाप वाले | अन्य |
……………. | ………………….. | ……………. |
…………….. | ………………….. | …………. …. |
…………….. | ………………….. | …………….. |
…………….. | ………………….. | …………….. |
…………….. | ………………….. | …………….. |
कुछ नाम बच भी गए होंगे। उन्हें अन्य के नीचे लिखो।
(ख) ऊपर लिखे बाजों को जगह-जगह पर बजाया जाता है। सोच कर लिखो इन जगहों पर क्या-क्या बजाया जाता है।–
रेलगाड़ी या बस में | ……………………………………… |
घर पर किसी अवसर पर | ……………………………………… |
भजन-कीर्तन में | ……………………………………… |
स्कूल में किसी अवसर पर | ……………………………………… |
तार वाले | थाप वाले | अन्य |
सारंगी | तबला | बाँसुरी |
सितार | ढोलक | हारमोनियम |
इकतारा | डफली | शहनाई |
गिटार | – | – |
(ख) इन्हें निम्नलिखित स्थानों पर बजाया जाता है।–
रेलगाड़ी या बस में | इकतारा, डफली, बाँसुरी |
घर पर किसी अवसर पर | गिटार, ढोलक, हारमोनियम, शहनाई |
भजन-कीर्तन में | बाँसुरी, हरमोनियम, ढोलक, डफली, सितार |
स्कूल में किसी अवसर पर | सितार, गिटार, तबला, ढोलक, डफली, बाँसुरी, हारमोनियम |
(क) इस कहानी में मिठास की बात है। तुम्हें कौन-कौन सी मीठी चीज़ें अच्छी लगती हैं?
(ख) क्या खाने की चीज़ें सिर्फ़ मीठी ही होती हैं? मीठे के अलावा उनका और क्या-क्या स्वाद होता है?
(ग) अब नीचे लिखी खाने-पीने की चीज़ों को स्वाद के हिसाब से लगाओ-
आम, मिर्च का अचार, जलज़ीरा, नींबू, शहद, चीनी, नमक, दूध, आँवला, करेला, अदरक |
……………… | ……………… | ……………… |
……………… | ……………… | ……………… |
……………… | ……………… | ……………… |
……………… | ……………… | ……………… |
तुम इस तालिका में कुछ नाम अपने मन से भी जोड़ सकते हो।
(घ) नीचे लिखे शब्दों को बोलकर देखो-
बाँसुरी | बंसी | हँस | हंस |
(ङ) अब नीचे दिए गए शब्दों में () या () लगाओ-
चाद | चदन | झासी | झझट | |
मगलवार | मागना | ककड़ | कापना | |
सुदर | साप | अधा | आधी |
(क) चॉकलेट, टॉफी, फल, आइसक्रीम, हलवा हमें मीठा लगता है।
(ख) खाने की चीज़ें सिर्फ़ मीठी नहीं होती हैं। मीठे के अलावा खट्टा, तीखा, कड़वा इत्यादि स्वाद भी होते हैं।
(ग)
आम | मिर्च का अचार | चीनी |
नींबू | अदरक | शहद |
आँवला | करेला | दूध |
जलज़ीरा | नमक | – |
(घ) विद्यार्थी इस प्रश्न को स्वयं करें।
(ङ)
चाँद | चंदन | झाँसी | झंझट | |
मंगलवार | माँगना | कंकड़ | काँपना | |
सुंदर | साँप | अंधा | आँधी |
एक गाँव में एक सारंगीवाला आया। वह सारंगी बहुत अच्छी बजाता था। एक रात जब उसने अपनी सारंगी बजानी शुरू की तो गाँववाले इकट्ठे हो गए। सभी सारंगीवाले की प्रशंसा करने लगे। गाँववाले कहने लगे-कैसी मीठी सारंगी है? अब कितना आनंद आ रहा है। पास ही भोला नामक एक व्यक्ति बैठा हुआ था। वह सोचने लगा–यदि सारंगी मीठी है तो उसका मुँह मीठा क्यों नहीं हुआ? सारे गाँववाले झूठ बोल रहे हैं। थोड़ी देर के बाद वह सारंगीवाले के पास बैठ गया, ताकि उसका मुँह मीठा हो सके। रात के तीन-चार बजे सारंगीवाले ने गाना-बजाना बंद कर दिया। गाँववाले पुनः मीठी सारंगी की प्रशंसा करने लगे। उनकी बात सुनकर भोला ने सोचा-सारे गाँववाले झूठ नहीं बोल सकते। रात में गाँववाले सो गए तथा सारंगी-वाला भी अपनी सारंगी को सिरहाने रखकर सो गया। तब भोला चुपके से उठा तथा उसने सारंगी उठा ली और उसे चुपके से चाटा। पर उसे कुछ भी मिठास नहीं प्राप्त हुआ। फिर उसने सारंगी के छेद को मुँह के पास ले जाकर उसे उड़ेला। पर सारंगी से एक भी मीठी बूंद नहीं निकली। वह गाँववालों की बेवकूफ़ी पर बहुत झुंझलाया और सारंगी को गाँव के बाहर ले जाकर फेंक दिया। सवेरा होने पर जब सब लोगों ने सारंगी को अपने स्थान पर नहीं पाया तो बड़े ही दुखी हुए। लोग कहने लगे कि बड़ी ही मीठी सारंगी थी, पता नहीं कौन ले गया। गाँववालों की बात सुनकर भोला बिफर पड़ा-क्या खाक मीठी थी। मैंने तो उसे अच्छी तरह चाटा भी था। उसमें जरा-सी भी मिठास नहीं थी। तुम लोग झूठ-मूठ ही बाबा जी की तारीफ़ कर रहे थे। लोगों ने पूछा कि सारंगी कहाँ है तो उसने कहा कि गाँव के बाहर पड़ी है। गाँववालों ने भोला की बेवकूफ़ी पर सिर पीट लिया।