Getstudysolution is an online educational platform that allows students to access quality educational services and study materials at no cost.
टका पुराने ज़माने का सिक्का था। अगर आजकल सब चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगें तो उससे किस तरह के फ़ायदे और नुकसान होंगे?
अगर आजकल सभी चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगे, तो इससे सभी ग्राहकों को फायदा होगा। उन्हें सभी चीज़ें एक रूपया किलो में मिलने लगेंगी। गरीबों को पेट भरकर भोजन मिलेगा। फिर कोई गरीब नहीं रहेगा। वहीं दुकानदारों तथा विक्रेताओं को नुकसान होगा। उन्हें हर चीज़ एक रुपया किलो बेचनी पड़ेगी। हर चीज़ को बनाने की लागत अलग-अलग होती है। अतः किसी चीज़ का मूल्य एक रुपया हो सकता है, तो किसी का सौ रुपए। इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा क्रय-विक्रय का सिलसिला गड़बड़ा जाएगा।
भारत में कोई चीज़ खरीदने-बेचने के लिए ‘रुपये’ का इस्तेमाल होता है और बांग्लादेश में ‘टके’ का। ‘रुपया’ और ‘टका’ क्रमश: भारत और बांग्लादेश की मुद्राएँ हैं। नीचे लिखे देशों की मुद्राएँ कौन-सी हैं?
सऊदी अरब | जापान | फ्रांस | इटली | इंग्लैंड। |
देश | सऊदी अरब | जापान | फ्रांस | इटली | इंग्लैंड |
मुद्राएँ | दीनार | येन | यूरो | यूरो | पाउण्ड स्टर्लिंग |
इस कविता की कहानी अपने शब्दों में लिखो।
एक बार एक गुरु और उसका चेला दोनों एक नगरी में घूमने जाते हैं। वे दोनों सबसे उस नगरी का नाम पूछते हैं। उन्हें एक ग्वालिन से पता चलता है कि इस नगरी का नाम अंधेर नगरी है और यहाँ का राजा निरा मूर्ख है। यहाँ हर वस्तु एक टके में एक सेर मिलती है। यह सुनकर गुरु वहाँ से वापस जाने का निर्णय लेते हैं। चेला गुरु की बात नहीं मानता। वह वहीं रहकर खाने के मज़े लेना चाहता है। गुरु चेले को छोड़कर चला जाता है। एक दिन बारिश के कारण दीवार गिर जाती है। उसके लिए बारी-बारी से कारीगर, मशकवाला, मंत्री सभी को दोषी ठहराया जाता है। मंत्री इसका मुख्य आरोपी सिद्ध होता है। मंत्री की गर्दन पतली होने के कारण राजा किसी मोटे व्यक्ति को उसके स्थान पर फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। चेला उस राज्य में खूब खाकर-पीकर मोटा हो जाता है। मोटे होने के कारण राजा उसे ही फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। वह फाँसी पर लटकने से पहले अपनी आखिरी इच्छा के रूप में अपने गुरु जी से मिलने की माँग करता है। गुरु को बुला लिया जाता है। गुरुजी आते ही बात समझ जाता है। वह चेले को कान में कहकर सारी बात समझा देता है। इसके बाद दोनों आपस में ज़िद्द करने लगते हैं कि वे पहले फाँसी पर चढ़ेगें। दोनों को इस तरह ज़िद्द करते देख राजा पूछता है “आखिर बात क्या है?” गुरूजी बताता है कि “इस समय जो फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा।” यह सुनकर राजा स्वयं फांसी पर चढ़ जाता है। अत: गुरु की सूझबूझ से चेला बच जाता है और मूर्ख राजा से प्रजा बच जाती है।
क्या तुमने कोई और ऐसी कहानी या कविता पढ़ी है जिसमें सूझबूझ से बिगड़ा काम बना हो, उसे अपनी कक्षा में सुनाओ।
छात्र स्वयं सुनाएगें; जैसे-
खरगोश और शेर, भीम और राक्षस आदि।
कविता को ध्यान से पढ़कर ‘अंधेर नगरी’ के बारे में कुछ वाक्य लिखो।
(सड़कें, बाज़ार, राजा का राजकाज)
(क) अंधेर नगरी की सड़कें चमचमाती रहती थीं।
(ख) अंधेर नगरी के बाज़ार में सभी चीज़ें टके सेर मिलती थी।
(ग) अंधेर नगरी में मूर्ख राजा के कारण राजकाज अव्यवस्थित था।
(घ) अंधेर नगरी में किसी के दोष की सज़ा किसी और को मिलती थी।
क्या ऐसे देश को ‘अंधेर नगरी’ कहना ठीक है? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
‘हाँ’ ऐसे देश को ‘अंधेर नगरी’ कहना बिलकुल ठीक है। ऐसा कहने के पीछे कारण यह है कि उस देश में शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सभी कुछ गलत था। वहाँ का राजा निरा मूर्ख था। अत: उसे अंधेर नगरी कहना ही ठीक होगा।
“प्रजा खुश हुई जब मरा मूर्ख राजा।”
(क) अँधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर खुश क्यों हुई?
(ख) यदि वे राजा से परेशान थे तो उन्होंने उसे खुद क्यों नहीं हटाया? आपस में चर्चा करो।
(क) अंधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर इसलिए खुश हुई क्योंकि वहाँ का राजा निरा मूर्ख था। जिसके कारण शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सभी कुछ गलत था। वहाँ किसी और कि सज़ा कोई और भुगतता था।
(ख) जिस-समय की यह कथा है। उस समय राजा भगवान की तरह माना जाता था। उसका महत्व बहुत अधिक था। उसके आगे बोलने की किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी। उसके पास धन और बल दोनों होता था। इसलिए प्रजा खुद राजा को हटा नहीं सकती थी।
“गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है।”
(क) गुरुजी ने क्या बात कही थी?
(ख) राजा यह बात सुनकर फाँसी पर लटक गया। तुम्हारे विचार से गुरुजी ने जो बात कही, क्या वह सच थी?
(ग) गुरुजी ने यह बात कहकर सही किया या गलत? आपस में चर्चा करो।
(क) गुरुजी ने कहा था कि जो इस मुहुर्त में फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती राजा बनेगा।
(ख) राजा मूर्ख था इसलिए वह फाँसी पर लटक गया लेकिन गुरुजी की बात सच नहीं थी।
(ग) गुरुजी ने यह सही किया क्योंकि यदि वह यह बात नहीं कहते तो अपने निर्दोष चेले को बचा नहीं पाते।
मंत्री की गर्दन फँदे के बराबर की होती?
यदि मंत्री की गर्दन फँदे के बराबर होती, तो उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाता।
राजा गुरुजी की बातों में न आता?
यदि राजा गुरुजी की बातों में न आता, तो चेले को फाँसी दे दी जाती।
अगर संतरी कहता कि “दीवार इसीलिए गिरी क्योंकि पोली थी” तो महाराज किस-किस को बुलाते? आगे क्या होता?
अगर संतरी कहता की “दीवार पोली होने से गिरी थी” तो महाराज दीवार बनाने में जितने लोगों ने काम किया था, उन सबको बुलाते जैसे- कारीगर, भिश्ती, मस्कवाला और मंत्री। सभी को राजा फाँसी पर चढ़वा देते।
अगर कविता ऐसे शुरू हो तो आगे किस तरह बढ़ेगी?
थी बिजली और उसकी सहेली थी बदली
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
बरसती थी बदली, चमकती थी बिजली
थी बरसात आई, दमकती थी बिजली
गरजती थी बदली, झमकती थी बिजली
आकाश में धमकती थी बिजली और बदली
नीचे लिखे वाक्य पढ़ो। जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें आजकल कैसे लिखते हैं, यह भी बताओ।
(क) न जाने की अंधेर हो कौन छन में!
(ख) गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री!
(ग) इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी!
(घ) ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी!
(ङ) न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी
(क) न जाने की अंधेर हो कौन छन में। आजकल इस शब्द को ‘क्षण’ लिखते हैं।
(ख) गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री! आजकल इस शब्द को ‘भाग रही’ लिखते हैं।
(ग) इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी! आजकल इस शब्द को ‘मज़बूत’ लिखते हैं।
(घ) ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी! आजकल इस शब्द को ‘परायी’ लिखते हैं।
(ङ) न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी। आजकल इस शब्द को ‘मुहूर्त’ लिखते हैं।
चमाचम थी सड़कें …….. इस पंक्ति में ‘चमाचम’ शब्द आया है। नीचे लिखे शब्दों को पढ़ो और दिए गए वाक्यों में ये शब्द भरो–
पटापट | चकाचक | फटाफट | चटाचट | झकाझक | खटाखट | चटपट। |
‘चावल की रोटियाँ एक एकांकी है, जिसमें कोको मुख्य भूमिका में है। वह आठ साल का एक बर्मी लड़का है। उसके तीन दोस्त हैं—नीनी, तिन सू और मिमि । नीनी और तिन सू बर्मी लड़के हैं और मिमि बर्मी लड़की। उ बा तुन जनता की दुकान का प्रबंधक है। एक दिन कोको अपने माता-पिता के खेत पर जाने के बाद उठता है। माँ की अनुपस्थिति में उसे घर की देखभाल करनी है। उसकी माँ उसके लिए चार चावल की रोटियाँ बनाकर अलमारी में रख गई है। कोको को चावल की रोटियाँ बेहद पसंद हैं। वह झट बैठ जाता है उन्हें खाने के लिए। तभी उसे दरवाजे पर किसी की दस्तक सुनाई देती है। वह दरवाजा खोलने से पहले उन रोटियों को छिपा देता है। फिर दरवाजा खोलता है। दरवाजे पर नीनी होता है। वह तुरंत कोको से पूछ बैठता है कि उसने दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगाई। कोको झूठ बोल जाता है कि वह नाश्ता करके मुँह धोने लगा था। नीनी उसके पास रेडियो पर परीक्षा संबंधी सूचना के बारे में जानकारी लेने आया है। कोको बहाना बनाता है। कि उसका रेडियो खराब हो गया है। नीनी को खबर जरूर सुनना है। अतः वह फौरन तिन सू के घर चला जाता है। कोको राहत की साँस लेता है और फिर चावल की रोटियाँ लेकर खाने बैठने ही वाला है कि दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है। इस बार मिमि है। कोको फिर रोटियाँ छिपाने के बाद दरवाजा खोलता है। नीनी की तरह मिमि भी पूछ बैठती है कि उसने दरवाजा खोलने में देर क्यों लगाई। कोको फिर वही बहाना लगाता है जो नीनी के पूछने पर लगाया था। आगे मिमि उसे बताती है कि अभी-अभी उसकी माँ मुझे मिली थीं। उन्होंने बताया कि तुम्हारे लिए चावल की कुछ रोटियाँ रखी हैं। कोको तपाक से बोल पड़ता है कि रोटियाँ तो थीं परन्तु मैंने सब खा लीं । मिमि कहती है कि अकेले-अकेले खाना बुरी बात होती है। मेरी माँ ने मुझे चार केले के पापड़ दिए-दो तुम्हारे लिए और दो मेरे लिए। चावल की रोटियों के साथ केले के पापड़ का नाश्ता बड़ा अच्छा होता। खैर तुम्हारा पेट तो भरा हुआ है और तुम कुछ भी नहीं खा सकते। कोको मन ही मन पछताने लगता है। उसका पेट भूख से गुड़गुड़ करने लगा था। मिमि एक पापड़ उठाकर कोको से चाय माँगती है। कोको उसे बताता है कि चाय अलमारी पर रखी है। मिमि स्वयं चाय पीने लगती है और कोको से कहती है। कि तुम्हारा पेट बहुत भरा हुआ है। अतः चाय भी मत पिओ। उसी समय कोको का पेट फिर गुड़गुड़ करने लगता है। मिमि के पूछने पर बताता है कि हमारे घर में चूहा घुस आया है। वही यह आवाज कर रहा है। दरवाजे पर फिर दस्तक होती है। इस बार तिन सू होता है। वह गेंदे के फूलों का गुच्छा लाता है। मिमि उसे केले का पापड़ देती है और एक कप चाय। तिन सू फूलदान में फूल लगाने के लिए बढ़ता है। कोको उसे रोक देता है क्योंकि वहीं पर उसने रोटियाँ छिपाई हैं। दरवाजे पर फिर दस्तक होती है। कोको दरवाजा खोलता है और उ बा तुन (दूकान का प्रबंधक) को पाता है। वह कोको से कहता है कि तुम्हारी माँ हमारी दुकान से एक फूलदान लाई थी। वे नीला फूलदान चाहती थीं। लेकिन उस समय वह मेरे पास नहीं था। अतः वे गुलाबी फूलदान ले आईं। मेरे पास अब नीला फूलदान आ गया है। मैं उसे बदलने के लिए आया हूँ। इतना कहकर उ बा तुन गुलाबी फूलदान उठाकर उसकी जगह नीला फूलदान रख देता है। फूलदान के साथ कोको की चावल की रोटियाँ भी चली गईं। कोको को इस बात से बहुत दुख होता है क्योंकि वह सभी (चारों) रोटियाँ खाने के चक्कर में एक भी नहीं खा पाता है।