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“पढ़क्कू की सूझ” कविता में एक कहानी कही गई है। इस कहानी को तुम अपने शब्दों में लिखो।
एक दिन पढ़क्कू समझ नहीं पाया कि कोल्हू का बैल बिना चलाए कैसे घूमता है। उनको लगा मालिक ने बैलों को कोई तरीका सिखा रखा है। एक दिन उसने मालिक से पूछा, “तुम कैसे जान लेते हो कि तुम्हारा बैल घूम रहा है।” मालिक ने कहा, “उनके गर्दन में बंधी घंटी की आवाज़ से।” इस पर तर्क शास्त्री पढ़क्कू ने कहा, “कभी बैल अड़ गया तो तुम्हें उस दिन तेल नहीं मिलेगा।” पढ़क्कू की बात सुनकर मालिक हँसा और बोला, “तर्कशास्त्री पढ़क्कू बैलों को युक्तियों की बातें नहीं आती हैं क्योंकि उसने तर्क शास्त्र नहीं पढ़ा है।”
तीसरी कक्षा में तुमने रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘मिर्च का मज़ा’ पढ़ी थी। अब तुमने उन्हीं की कविता ‘पढ़क्कू की सूझ’ पढ़ी।
(क) दोनों में से कौन-सी कविता पढ़कर तुम्हें ज़्यादा मज़ा आया?
(चाहो तो तीसरी की किताब फिर से देख सकते हो।)
(ख) तुम्हें काबुली वाला ज़्यादा अच्छा लगा या पढ़क्कू? या कोई भी अच्छा नहीं लगा?
(ग) अपने साथियों के साथ मिलकर एक-एक कविता ढूँढ़ो। कविताएँ इकट्ठा करके कविता की एक किताब बनाओ।
(क) हमें मिर्च का मज़ा कविता पढ़कर बहुत मज़ा आया। इसमें भोलेपन में काबुली वाले ने मिर्च को फल समझकर खा लिया था।
(ख) हमें काबुली वाला ज़्यादा अच्छा लगा। वह भोला और सीधा था।
(ग) सभी बच्चे एक-एक कविता ढूंढे फिर सब मिलाकर एक कविता की किताब बनाओ।
कोल्हू का बैल ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो कड़ी मेहनत करता है या जिससे कड़ी मेहनत करवाई जाती है।
मेहनत और कोशिश से जुड़े कुछ और मुहावरे नीचे लिखे हैं। इनका वाक्यों में इस्तेमाल करो।
• दिन-रात एक करना
• पसीना बहाना
• एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना
दिन रात एक करना – उसने प्रथम आने के लिए दिन रात एक कर दिया।
पसीना बहाना – उसने पसीना बहाकर पैसा कमाया है।
एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना – चोर को पकड़ने के लिए पुलिस ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया।
(क) पढ़क्कू का नाम पढ़क्कू क्यों पड़ा होगा?
(ख) तुम कौन-सा काम खूब मन से करना चाहते हो? उसके आधार पर अपने लिए भी पढ़क्कू जैसा कोई शब्द सोचो।
(क) वह दिन-रात पढ़ता होगा इसलिए उसका नाम पढ़क्कू पड़ा होगा।
(ख) मैं चित्र बनाने का काम खूब मन से करना चाहता हूँ। इसीलिए चित्रकार कहलाना पसंद करूँगा।
हाँ जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ
पूँछ धरता हूँ का मतलब है पूँछ पकड़ लेता हूँ।
नीचे लिखे वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।
(क) मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
(ख) बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।
(ग) सिखा बैल को रखा इसने निश्चय कोई ढब है।
(घ) जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।
(क) मगर क्या शाम तक भी तुम्हें एक बूँद तेल मिल पाएगी?
(ख) हमारा बैल अभी तक तर्कशास्त्र नहीं पढ़ पाया है।
(ग) इसने बैल को कोई तरकीब सिखा रखी है।
(घ) जहाँ कोई बात नहीं होती, वहाँ भी नई बात बनाने लगते थे।
पढ़क्कू नई-नई बातें गढ़ते थे।
बताओ, ये लोग क्या गढ़ते हैं?
सुनार | ………………….. | कवि | ………………….. |
लुहार | ………………….. | कुम्हार | ………………….. |
ठठेरा | ………………….. | लेखक | ………………….. |
सुनार | गहना | कवि | कविता |
लुहार | लोहे की चीज़ें | कुम्हार | मिट्टी के बर्तन |
ठठेरा | धातु के बर्तन | लेखक | कहानी |
नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ अक्षरजाल में खोजो-
ढब, भेद, गज़ब, मंतिख, छल |
त | र्क | शा | स्त्र | म्र |
रा | ज | त | क | ब |
जू | स | री | मा | धो |
रा | ज़ | का | ल | खा |
धो | क | म | ल | ड़ |
त | र्क | शा | स्त्र | म्र |
रा | ज | त | क | ब |
जू | स | री | मा | धो |
रा | ज़ | का | ल | खा |
धो | क | म | ल | ड़ |
ढब | – | तरीका |
गज़ब | – | कमाल |
छल | – | धोखा |
भेद | – | राज़ |
मंतिख | – | तर्कशास्त्र |