GetStudySolution


Getstudysolution is an online educational platform that allows students to access quality educational services and study materials at no cost.


NCERT Solutions for Class 5 Hindi chapter 12 – गुरु और चेला


Back Exercise

Page No 99:

Question 1:

टका पुराने ज़माने का सिक्का था। अगर आजकल सब चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगें तो उससे किस तरह के फ़ायदे और नुकसान होंगे?

Answer:

अगर आजकल सभी चीज़ें एक रुपया किलो मिलने लगे, तो इससे सभी ग्राहकों को फायदा होगा। उन्हें सभी चीज़ें एक रूपया किलो में मिलने लगेंगी। गरीबों को पेट भरकर भोजन मिलेगा। फिर कोई गरीब नहीं रहेगा। वहीं दुकानदारों तथा विक्रेताओं को नुकसान होगा। उन्हें हर चीज़ एक रुपया किलो बेचनी पड़ेगी। हर चीज़ को बनाने की लागत अलग-अलग होती है। अतः किसी चीज़ का मूल्य एक रुपया हो सकता है, तो किसी का सौ रुपए। इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा क्रय-विक्रय का सिलसिला गड़बड़ा जाएगा।

Question 2:

भारत में कोई चीज़ खरीदने-बेचने के लिए ‘रुपये’ का इस्तेमाल होता है और बांग्लादेश में ‘टके’ का। ‘रुपया’ और ‘टका’ क्रमश: भारत और बांग्लादेश की मुद्राएँ हैं। नीचे लिखे देशों की मुद्राएँ कौन-सी हैं?

सऊदी अरब

जापान

फ्रांस

इटली

इंग्लैंड।

 

Answer:

देश

सऊदी अरब

जापान

फ्रांस

इटली

इंग्लैंड

मुद्राएँ

दीनार

येन

यूरो

यूरो

पाउण्ड स्टर्लिंग

 

Question 1:

इस कविता की कहानी अपने शब्दों में लिखो।

Answer:

एक बार एक गुरु और उसका चेला दोनों एक नगरी में घूमने जाते हैं। वे दोनों सबसे उस नगरी का नाम पूछते हैं। उन्हें एक ग्वालिन से पता चलता है कि इस नगरी का नाम अंधेर नगरी है और यहाँ का राजा निरा मूर्ख है। यहाँ हर वस्तु एक टके में एक सेर मिलती है। यह सुनकर गुरु वहाँ से वापस जाने का निर्णय लेते हैं। चेला गुरु की बात नहीं मानता। वह वहीं रहकर खाने के मज़े लेना चाहता है। गुरु चेले को छोड़कर चला जाता है। एक दिन बारिश के कारण दीवार गिर जाती है। उसके लिए बारी-बारी से कारीगर, मशकवाला, मंत्री सभी को दोषी ठहराया जाता है। मंत्री इसका मुख्य आरोपी सिद्ध होता है। मंत्री की गर्दन पतली होने के कारण राजा किसी मोटे व्यक्ति को उसके स्थान पर फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। चेला उस राज्य में खूब खाकर-पीकर मोटा हो जाता है। मोटे होने के कारण राजा उसे ही फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। वह फाँसी पर लटकने से पहले अपनी आखिरी इच्छा के रूप में अपने गुरु जी से मिलने की माँग करता है। गुरु को बुला लिया जाता है। गुरुजी आते ही बात समझ जाता है। वह चेले को कान में कहकर सारी बात समझा देता है। इसके बाद दोनों आपस में ज़िद्द करने लगते हैं कि वे पहले फाँसी पर चढ़ेगें। दोनों को इस तरह ज़िद्द करते देख राजा पूछता है “आखिर बात क्या है?” गुरूजी बताता है कि “इस समय जो फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा।” यह सुनकर राजा स्वयं फांसी पर चढ़ जाता है। अत: गुरु की सूझबूझ से चेला बच जाता है और मूर्ख राजा से प्रजा बच जाती है।

Question 2:

क्या तुमने कोई और ऐसी कहानी या कविता पढ़ी है जिसमें सूझबूझ से बिगड़ा काम बना हो, उसे अपनी कक्षा में सुनाओ।

Answer:

छात्र स्वयं सुनाएगें; जैसे-

खरगोश और शेर, भीम और राक्षस आदि।

Question 3:

कविता को ध्यान से पढ़कर ‘अंधेर नगरी’ के बारे में कुछ वाक्य लिखो।

(सड़कें, बाज़ार, राजा का राजकाज)

Answer:

(क) अंधेर नगरी की सड़कें चमचमाती रहती थीं।

(ख) अंधेर नगरी के बाज़ार में सभी चीज़ें टके सेर मिलती थी।

(ग) अंधेर नगरी में मूर्ख राजा के कारण राजकाज अव्यवस्थित था।

(घ) अंधेर नगरी में किसी के दोष की सज़ा किसी और को मिलती थी।

Question 4:

क्या ऐसे देश को ‘अंधेर नगरी’ कहना ठीक है? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।

Answer:

‘हाँ’ ऐसे देश को ‘अंधेर नगरी’ कहना बिलकुल ठीक है। ऐसा कहने के पीछे कारण यह है कि उस देश में शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सभी कुछ गलत था। वहाँ का राजा निरा मूर्ख था। अत: उसे अंधेर नगरी कहना ही ठीक होगा।

Question 1:

“प्रजा खुश हुई जब मरा मूर्ख राजा।”

(क) अँधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर खुश क्यों हुई?

(ख) यदि वे राजा से परेशान थे तो उन्होंने उसे खुद क्यों नहीं हटाया? आपस में चर्चा करो।

Answer:

(क) अंधेर नगरी की प्रजा राजा के मरने पर इसलिए खुश हुई क्योंकि वहाँ का राजा निरा मूर्ख था। जिसके कारण शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सभी कुछ गलत था। वहाँ किसी और कि सज़ा कोई और भुगतता था।

(ख) जिस-समय की यह कथा है। उस समय राजा भगवान की तरह माना जाता था। उसका महत्व बहुत अधिक था। उसके आगे बोलने की किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी। उसके पास धन और बल दोनों होता था। इसलिए प्रजा खुद राजा को हटा नहीं सकती थी।

Question 2:

“गुरु का कथन, झूठ होता नहीं है।”

(क) गुरुजी ने क्या बात कही थी?

(ख) राजा यह बात सुनकर फाँसी पर लटक गया। तुम्हारे विचार से गुरुजी ने जो बात कही, क्या वह सच थी?

(ग) गुरुजी ने यह बात कहकर सही किया या गलत? आपस में चर्चा करो।

Answer:

(क) गुरुजी ने कहा था कि जो इस मुहुर्त में फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती राजा बनेगा।

(ख) राजा मूर्ख था इसलिए वह फाँसी पर लटक गया लेकिन गुरुजी की बात सच नहीं थी।

(ग) गुरुजी ने यह सही किया क्योंकि यदि वह यह बात नहीं कहते तो अपने निर्दोष चेले को बचा नहीं पाते।

Page No 100:

Question 1:

मंत्री की गर्दन फँदे के बराबर की होती?

Answer:

यदि मंत्री की गर्दन फँदे के बराबर होती, तो उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाता।

Question 2:

राजा गुरुजी की बातों में न आता?

Answer:

यदि राजा गुरुजी की बातों में न आता, तो चेले को फाँसी दे दी जाती।

Question 3:

अगर संतरी कहता कि “दीवार इसीलिए गिरी क्योंकि पोली थी” तो महाराज किस-किस को बुलाते? आगे क्या होता?

Answer:

अगर संतरी कहता की “दीवार पोली होने से गिरी थी” तो महाराज दीवार बनाने में जितने लोगों ने काम किया था, उन सबको बुलाते जैसे- कारीगर, भिश्ती, मस्कवाला और मंत्री। सभी को राजा फाँसी पर चढ़वा देते।

Question 1:

अगर कविता ऐसे शुरू हो तो आगे किस तरह बढ़ेगी?

थी बिजली और उसकी सहेली थी बदली

………………………………………………..

………………………………………………..

………………………………………………..

………………………………………………..

Answer:

बरसती थी बदली, चमकती थी बिजली

थी बरसात आई, दमकती थी बिजली

गरजती थी बदली, झमकती थी बिजली

आकाश में धमकती थी बिजली और बदली

Question 1:

नीचे लिखे वाक्य पढ़ो। जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें आजकल कैसे लिखते हैं, यह भी बताओ।

(क) न जाने की अंधेर हो कौन छन में!

(ख) गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री!

(ग) इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी!

(घ) ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी!

(ङ) न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी

Answer:

(क) न जाने की अंधेर हो कौन छन में। आजकल इस शब्द को ‘क्षण’ लिखते हैं।

(ख) गुरु ने कहा तेज़ ग्वालिन न भग री! आजकल इस शब्द को ‘भाग रही’ लिखते हैं।

(ग) इसी से गिरी, यह न मोटी घनी थी! आजकल इस शब्द को ‘मज़बूत’ लिखते हैं।

(घ) ये गलती न मेरी, यह गलती बिरानी! आजकल इस शब्द को ‘परायी’ लिखते हैं।

(ङ) न ऐसी महूरत बनी बढ़िया जैसी। आजकल इस शब्द को ‘मुहूर्त’ लिखते हैं।

Question 2:

चमाचम थी सड़कें …….. इस पंक्ति में ‘चमाचम’ शब्द आया है। नीचे लिखे शब्दों को पढ़ो और दिए गए वाक्यों में ये शब्द भरो–

पटापट

चकाचक

फटाफट

चटाचट

झकाझक

खटाखट

चटपट।

  • आँधी के कारण पेड़ से …………… फल गिर रहे हैं।
  • हंसा अपना सारा काम ………….. कर लेती है।
  • आज रहमान ने ………… सफ़ेद कुर्ता पाजामा पहना है।
  • उस भुक्खड़ ने ………… सारे लड्डू खा डाले।
  • सारे बर्तन धुलकर ………… हो गए।

 

Answer:

  • आँधी के कारण पेड़ से  पटापट  फल गिर रहे हैं।
  • हंसा अपना सारा काम  फटाफट  कर लेती है।
  • आज रहमान ने  चकाचक  सफ़ेद कुर्ता पाजामा पहना है।
  • उस भुक्खड़ ने   चटाचट  सारे लड्डू खा डाले।
  • सारे बर्तन धुलकर   झकाझक   हो गए।

 

summary

एक थे गुरु और एक था उनका चेला। एक दिन बिना पैसे के वे घूमने निकल पड़े। चलते-चलते वे एक नगर में पहुँच गए। वहाँ उन्हें एक ग्वालिन मिली। उसने उन्हें बताया कि यह अंधेर नगरी है और इसका राजा बिल्कुल मूर्ख (अनबूझ) है। इस नगरी में सभी चीजों का दाम एक टका है। गुरुजी ने सोचा ऐसी नगरी में रहना ठीक नहीं है। अतः उन्होंने अपने चेले से वहाँ से चलने को कहा। चेले ने बात नहीं मानी। गुरुजी चले गए परन्तु चेला उसी नगरी में रह गया। एक दिन चेला बाजार में गया। वहाँ उसने देखा कि सभी चीजें टके सेर मिल रही हैं। चाहे वह खीरा हो या रबड़ी मलाई। चेले को सब कुछ अजीब लग रहा था। उस साल बरसात में खूब बारिश हुई। नतीजा यह हुआ कि राज्य की एक दीवार गिर गई। राजा ने संतरी को फौरन बुलाया और उससे दीवार गिरने का कारण पूछा। संतरी ने कारीगर को दोषी ठहराया। फिर कारीगर को बुलाया गया। उसने भिश्ती को दोषी ठहराया क्योंकि उसने गारा गीला कर दिया। भिश्ती ने मशकवाले पर दोष मढ़ा जिसने ज्यादा पानी की मशक बना दी थी। मशकवाले ने मंत्री को दोषी बताया क्योंकि उसी ने बड़े जानवर का चमड़ा दिलवाया था। फौरन मंत्री को बुलाया गया। वह अपने बचाव में कुछ न कह सका। अतः जल्लाद उसे फाँसी पर चढ़ाने चला। मगरे मंत्री इतना दुबला था कि उसकी गर्दन में फाँसी का फंदा आया ही नहीं। राजा ने आदेश दिया कि कोई मोटी गर्दन वाले को पकड़ लाओ और उसे फाँसी पर चढ़ा दो। संतरी मोटी गर्दन वाले की खोज में निकल पड़े। अचानक उन्हें चेला दिख गया। उसकी गर्दन मोटी थी। उन्होंने चेले को पकड़कर राजा के सामने प्रस्तुत किया। राजा ने उसे फाँसी पर चढ़ा देने का आदेश दे दिया। बेचारा चेला कठिन परिस्थिति में फँस गया। मगर वह चालाक था। उसने कहा कि फाँसी पर चढ़ाने से पहले मुझे मेरे गुरुजी का दर्शन कराओ। गुरुजी को बुलाया गया। उन्होंने चेले के कान में कुछ मंत्र गुनगुनाया। फिर गुरु-चेला आपस में झगड़ने लगे। गुरु कहता था मैं फाँसी पर चढ़ेगा और चेला कहता था कि मैं। राजा कुछ देर तक उनका झगड़ा देखता रहा। फिर उसने उन दोनों को अपने पास बुलाया और झगड़ा का कारण पूछा तो गुरु ने कहा कि यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है। इस मुहूर्त में जो फाँसी पर चढ़ेगा वह रोजा नहीं बल्कि चक्रवर्ती बनेगा। पूरे संसार का छत्र उसके सिर चढ़ेगा। मूर्ख राजा बोल पड़ा-यदि ऐसी बात है तो मैं फाँसी पर चढ़ेगा। राजा को फाँसी पर चढ़ा दिया गया। इधर प्रजा में खुशी की लहर दौड़ गई। आखिरकार उन्हें ऐसे मूर्ख राजा से मुक्ति मिल गई।