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• सुनीता को सब लोग गौर से क्यों देख रहे थे?
• सुनीता को दुकानदार का व्यवहार क्यों बुरा लगा?
• सुनीता अपने पैरों से नहीं चल सकती थी। वह अपनी पहिया कुर्सी पर बैठ कर चल रही थी इसीलिए सब उसे गौर से देख रहे थे।
• दुकानदार ने चीनी सुनीता के हाथ में देने की बजाय, उसकी गोद में डाल दी थी। सुनीता को दुकानदार की दया नहीं चाहिए थी। वह चाहती थी कि उसके साथ अन्य लोगों की तरह समान व्यवहार किया जाए। लेकिन दुकानदार उसके समान व्यवहार नहीं कर रहा था। अपाहिज़ समझकर वह दया दिखा रहा था। दुकानदार का यह व्यवहार सुनीता को उसकी कमी की याद दिला रहा था इसलिए उसे दुकानदार का व्यवहार बुरा लगा।
सुनीता को सड़क की ज़िंदगी देखने में मज़ा आता है।
(क) तुम्हारे विचार से सुनीता को सड़क देखना अच्छा क्यों लगता होगा?
(ख) अपने घर के आसपास की सड़क को ध्यान से देखो और बताओ–
• तुम्हें क्या-क्या चीज़ें नज़र आती हैं?
• लोग क्या-क्या करते हुए नज़र आते हैं?
(क) सुनीता अपने पैरों से चल नहीं सकती थी। इसलिए उसे सड़क की चीज़ें देखने में मज़ा आता था। सड़क पर उसे हर चीज़ चलती दिखाई देती थी। अतः उसे जब भी यह देखने का मौका मिलता, तो उसे अच्छा लगता था। अंदर रहकर जो अकेलापन व कमी वह महसूस करती थी। वह सड़क पर देखकर दूर हो जाता व उसका मन लग जाता था।
(ख) अपने घर के आसपास की सड़कों पर हमें निम्न प्रकार की वस्तुएँ तथा कार्य करते लोग दिखाई देते हैं-
• पेड़-पौधे, बिजली के खम्भे, सड़क पर आती-जाती साइकिल, स्कूटर, मोटर-साइकिल, कारें, बसें और ट्रक इत्यादि दिखाई देते हैं।
• लोग आते-जाते नींबू पानी पीते, गाड़ी ठीक करते हुए, गाड़ी रोककर फोन पर बात करते हुए, हेलमेट खरीदते हुए, बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार करते हुए तथा सड़क पर चलते हुए नज़र आते हैं।
फ़रीदा की माँ ने कहा, “इस तरह के सवाल नहीं पूछने चाहिए।”
फ़रीदा पहिया कुर्सी के बारे में जानना चाहती थी पर उसकी माँ ने उसे रोक दिया।
• माँ ने फ़रीदा को क्यों रोक दिया होगा?
• क्या फ़रीदा को पहिया कुर्सी के बारे में नहीं पूछना चाहिए था? तुम्हें क्या लगता है?
• क्या तुम्हें भी कोई काम करने या कोई बात कहने से मना किया जाता है? कौन मना करता है? कब मना करता है?
• फ़रीदा के प्रश्न सुनकर कहीं सुनीता को बुरा ना लग जाए इसलिए माँ ने फ़रीदा को प्रश्न पूछने से रोका होगा।
• फ़रीदा को इस विषय में नहीं पूछना चाहिए था। इससे सुनीता को बुरा लग सकता था।
• हाँ, मुझे मना किया जाता है। माँ मना करती है। जब मैं मिट्टी में खेलती हूँ, तो मुझे खेलने से मना किया जाता है।
(क) यदि सुनीता तुम्हारी पाठशाला में आए तो उसे किन-किन कामों में परेशानी आएगी?
(ख) उसे यह परेशानी न हो इसके लिए अपनी पाठशाला में क्या तुम कुछ बदलाव सुझा सकती हो?
(क) सुनीता को पाठशाला के प्रार्थना सभा, कक्षा व कक्षा से इधर-उधर आने-जाने में परेशानी होगी। वह खेलकूद नहीं पाएगी। कुछ शैतान बच्चे उसका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं।
(ख) कक्षाओं में आने-जाने का रास्ता ढलावदार होना चाहिए। विकलांगों वाले खेल कराएँ जाने चाहिए। ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि दूसरे बच्चे उनके साथ बराबरी का बर्ताव करें।
सुनीता के बारे में पढ़कर तुम्हारे मन में कई सवाल और बातें आ रही होंगी। वे बातें सुनीता को चिट्ठी में लिखकर बताओ।
बी-38, विकास पुरी, नई दिल्ली। दिनांकः ……………..
प्रिय सुनीता, बहुत प्यार! तुम कैसी हो, मैंने तुम्हारे बारे में पढ़ा है। मैं तुम्हारी हिम्मत की सराहना करती हूँ कि तुम अपने काम स्वयं करती हो। तुम किसी पर निर्भर नहीं हो। मेरे मन में तुम्हें लेकर बहुत से प्रश्न उठते हैं। तुम जब औरों को खेलते हुए या दौड़ते हुए देखती हो, तो क्या सोचती हो? तुम खेल नहीं सकती। अतः तुम किस प्रकार के खेल खेलती हो? क्या तुम्हारे मित्र हैं? यदि हैं, तो क्या उन्हें तुम्हारे साथ असुविधा महसूस होती है? उस समय तुम क्या करती हो? सुनीता तुम्हारी तरह और भी ऐसे बच्चे हैं, जो सुन-बोल नहीं सकते या कुछ देख नहीं सकते। उनके लिए तुम क्या कहना चाहोगी? मेरे इन प्रश्नों का उत्तर अवश्य देना। यदि मेरा कोई प्रश्न तुम्हें दुखी करता हो, तो मुझे क्षमा करना और उसका उत्तर मत देना।
तुम्हारी सखी मोहना
सुनीता ने कहा, “मैं पैरों से चल ही नहीं सकती।”
(क) सुनीता अपने पैरों से चल-फिर नहीं सकती। तुमने पिछले साल पर्यावरण अध्ययन की किताब आस-पास में रवि भैया के बारे में पढ़ा होगा। रवि भैया देख नहीं सकते फिर भी वे किताबें पढ़ लेते हैं।
• वे किस तरह की किताबें पढ़ सकते हैं?
• उस तरह की किताबों के बारे में सबसे पहले किसने सोचा?
(ख) आस-पास में कुछ ऐसे लोगों के बारे में भी बात की गई है जो सुन-बोल नहीं सकते हैं।
• क्या तुम ऐसे किसी बच्चे को जानते हो जो सुन-बोल नहीं सकता?
• तुम उसे किस तरह से अपनी बात समझाते हो?
(क)
• वे ब्रेल लिपि की किताबें पढ़ सकते हैं।
• इस प्रकार की किताब के बारे में लुई ब्रेल ने सोचा। उन्होंने इस तरह की किताबें सबसे पहले लिखी। वे भी दृष्टिहीन थे। अतः उन्होंने इस प्रकार की किताब लिखकर दृष्टिहीन लोगों के जीवन की दिशा बदल दी। इस लिपि को इन्हीं का नाम दिया गया है।
(ख)
• मैं एक ऐसे बच्चे को जानती हूँ, जो सुन-बोल नहीं पाती उसका नाम नीतिका है।
• मैं उसे लिखकर तथा इशारों से अपनी बात समझाती हूँ।