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काबुलीवाले को सब्ज़ी बेचने वाली की भाषा अच्छी तरह समझ नहीं आती थी। इसलिए उसे अपनी बात समझाने में बड़ी मुश्किल हुई। चलो, देखते हैं तुम अपनी बात बिना बोले अपने साथी को कैसे समझाते हो? नीचे लिखे वाक्य अलग-अलग पर्चियों मे लिख लो। एक पर्ची उठाओ। अब यह बात तुम्हें अपने साथी को बिना कुछ बोले समझानी है–
1. मुझे बहुत सर्दी लग रही है।
2. बिल्ली दूध पी रही है, उसे भगाओ।
3. मेरे दाँत में दर्द है।
4. चलो, बाज़ार चलते हैं।
5. अरे, ये तो बहुत कड़वा है।
6. चोर उधर गया है, चलो उसे पकड़ें।
7. पार्क में चलकर खेलेंगे।
8. मुझे डर लग रहा है।
9. उफ़ ये बदबू कहाँ से आ रही है।
10. अहा! लगता है कहीं हलवा बना है।
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने साथी विद्यार्थी की मदद से स्वयं करें।
काबुलीवाले ने कहा – अगर ये लाल चीज़ खाने की है, तो मुझे भी दे दो।
सब्ज़ी बेचने वाली ने कहा – हाँ ये तो सब खाते हैं। ले लो।
इस तरह बेचारा काबुलीवाला मिर्च खा बैठा। तुम्हारे हिसाब से काबुलीवाले को मिर्च देखने के बाद क्या पूछना चाहिए था?
काबुलीवाले को सब्ज़ी वाले से पूछना चाहिए था कि ये क्या हैं? इन्हें कैसे खाया जाता है? इनका स्वाद कैसा होता है?
मुँह सारा जल उठा और आँखों में जल भर आया।
यहाँ जल शब्द को दो अर्थो में इस्तेमाल किया गया है।
जल – जलना, तीखा
जल – पानी
इसी तरह नीचे दिए गए शब्दों के भी दो अर्थ हैं।
इन शब्दों का इस्तेमाल करते हुए एक-एक वाक्य बनाओ पर ध्यान रहे–
• वाक्य में वह शब्द दो बार आना चाहिए
• दोनों बार उस शब्द का मतलब अलग निकलना चाहिए। (जैसे ऊपर दिए गए वाक्य में जल)
हार | ………………………………………….. |
आना | ………………………………………….. |
उत्तर | ………………………………………….. |
फल | ………………………………………….. |
मगर | ………………………………………….. |
पर | ………………………………………….. |
हार– जीत का हार पहनना चाहता था पर हार गया। |
आना- चार आना लेकर जाओ और टॉफी लेकर जल्दी आना। |
उत्तर- राजकुमार ने कहा इसका उत्तर, उत्तर दिशा में छिपा है। |
फल- फल चुराकर तोड़ने का फल ठीक नहीं होता। |
मगर- मैं नदी किनारे गया मगर वहाँ मगर नहीं मिले। |
पर- यहाँ पर रखे मोर के पर गिनों। |
कविता की वे पंक्तियाँ छाँटकर लिखो जिनसे पता चलता है कि
(क) काबुलीवाला कुछ शब्द अलग तरीके से बोलता था।
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(ख) काबुलीवाला कंजूस था।
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(ग) मिर्च बहुत तीखी थी।
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(घ) काबुलीवाले को मिर्च के बारे में नहीं पता था।
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(ङ) काबुलीवाले को 25 पैसे की मिर्च चाहिए थी।
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(क) दो तोल छीमियाँ फ़कत चार आने की
कुँजड़िन से बोला बेचारा ज्यों-ज्यों कुछ समझाकर
(ख) जा तू अपनी राह सिपाही, मैं खाता हूँ पैसा!
(ग) मुँह सारा जल उठा और आँखों में जल भर आया।
(घ) लाल-लाल पतली छीमी हो चीज़ अगर खाने की।
(ङ) तो हमको दो तोल छीमियाँ फ़कत चार आने की।
चवन्नी मतलब चार आना। | अब बताओ – |
चार आना मतलब 25 पैसे। | अठन्नी मतलब ………… आने। |
तो एक रुपए में कितने पैसे? | इकन्नी मतलब ………… आना। |
दुअन्नी मतलब ………… आने। |
एक रुपए में 25 पैसे के चार सिक्के (16 आने) |
अठन्नी मतलब आठ आने। |
इकन्नी मतलब एक आना। |
दुअन्नी मतलब दो आने। |
तुम बाज़ार गए। दुकानों में बहुत-सी चीज़ें रखी हैं। तुम्हें दूर से ही अपनी मनपसंद की चीज़ का दाम पता करना है, पर तुम्हें उस चीज़ का नाम नहीं पता। अब दुकानदार से दाम कैसे पूछोगे?
हर चीज़ की ओर इशारा करके या उसे उठा कर पूछेगें कि इसका नाम या दाम कितना है?
कुंजड़िन से बोला बेचारा ज्यों-ज्यों कुछ समझाकर
इस पंक्ति को ऐसे भी लिख सकते हैं –
बेचारा ज्यों-ज्यों कुछ समझाकर कुंजड़िन से बोला।
अब इसी तरह इन पंक्तियों को फिर से लिखो –
(क) हमको दो तोल छीमियाँ फ़कत चार आने की।
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(ख) वह खाता ही रहा मिर्च की छीमी को सिसियाते।
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(ग) जा तू अपनी राह सिपाही, मैं खाता हूँ पैसा।
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(घ) एक काबुलीवाले की कहते हैं लोग कहानी।
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(क) हमको फ़कत चार आने की तोल दो छीमियाँ।
(ख) वह मिर्च की छीमी को सिसियाते खाता ही रहा।
(ग) तू अपनी राह जा सिपाही मैं पैसा खाता हूँ।
(घ) लोग एक काबुलीवाले की कहानी कहते हैं।
काबुलीवाले ने मिर्च को स्वादिष्ट फल क्यों समझ लिया?
काबुलीवाले ने ऐसी लाल मिर्च पहले नहीं देखी थी। वे मिर्चें गहरे लाल रंग थीं। वे दूर से देखने में स्वादिष्ट लग रही थीं। अतः काबुलीवाने ने उन्हें फल समझ लिया।
सब्ज़ी बेचने वाली ने क्या सोचकर उसे झोली भर मिर्च दी होगी?
सब्ज़ी बेचने वाली को पहले तो काबुलीवाले की बात ही नहीं समझ में आई। फिर उसने सोचा होगा कि इसे लाल मिर्च ही चाहिए होगी। अतः उसने काबुलीवाले को झोली भर मिर्च दे दी होगी।
सारी मिर्चें खाने के बाद काबुलीवाले की क्या हालत हुई होगी?
सारी मिर्चें खाने के बाद काबुलीवाले की हालत बहुत खराब हो गई होगी। उसकी आँख, नाक तथा मुँह से पानी गिर रहा होगा। जीभ, गले और पेट में भयंकर जलन हो रही होगी। मिर्च के मारे चक्कर आ रहे होगें। वह साथ में सी-सी भी कर रहा होगा।
अगले दिन सब्ज़ी वाली टमाटर बेच रही थी। क्या काबुलीवाले ने टमाटर खाया होगा?
अगले दिन काबुलीवाले ने टमाटर नहीं खरीदे होगें क्योंकि वह डर गया था कि पता नहीं इसका स्वाद कैसा हो।
अपने मन से बनाकर एक कविता यहाँ लिखो।
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बारिश
रिमझिम-रिमझिम बारिश आई
बूंदों की लड़ियाँ हैं छाई
गिरती टप-टप ऐसी बूँदें
मोती झरते झप से जैसे-
मनभावन ये बारिश प्यारी
तन-मन को भिगाती प्यारी
मम्मी भीगी, पापा भीगे,
रस्ते में सभी चलते भीगे
लेकर कोई छतरी भागे,
नहीं मिले तो ऐसे ही भागे,
बारिश रानी आई तुम
मेरे मन को भाई तुम
अगले बरस जल्दी आना
गरमी दूर भगाकर जाना।
लाल-लाल मिर्च देखकर काबुलीवाले के मुँह में पानी आ गया। तुम्हारे मुँह में किन चीज़ों को देखकर या सोचकर पानी आ जाता है?
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रसगुल्ला, चॉकलेट, केक, आम, चाट, रसमलाई, खीर, हलवा इत्यादि को देखकर हमारे मुँह में पानी आ जाता है।