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इन वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो –
सुबह की हल्की धूप में खेत सुनहरे दिखाई दे रहे थे।
वह इतना तेज़ चल रहा था मानो उसके पंख लग गए हों।
सुबह की हल्की धूप में खेतों पर पड़ी ओस चमकती है तो वह सोने के समान चमकती हुई दिखाई देती है।
वह बहुत तेज़ चल रहा था जैसे उड़ रहा हो।
“तीतर स्वेटर में फँस गया तो बिशन ने उसे पकड़ लिया और अपने सीने से चिपका लिया।” ऊपर लिखे वाक्य में ‘उसे’ शब्द का इस्तेमाल ‘तीतर’ के लिए किया गया है। एक ही संज्ञा का बार-बार इस्तेमाल करने की बजाय उसकी जगह पर कुछ ख़ास शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में सर्वनाम का ठीक रूप छाँटकर लिखो।
(क) मास्टर साहब ने अप्पाराव को ……………… पास बुलाकर कहा, ………………….. कल ………………. घर आना। (मैं, अपना, तुम)
(ख) सेंटीला ……………….. घर नागालैंड के किस शहर में है? (तुम)
(ग) सुधा ने ……………….. बुआ से पूछा, पापा ………………… कितने बड़े हैं? (आप)
(घ) मोहन को समझ में नहीं आ रहा कि ………………. क्या करना चाहिए? (वह)
(ङ) विमल ने ……………………… अफ़सर को याद दिलाया कि ……………… चार बजे बैठक में जाना है। (आप, वह)
(क) मास्टर साहब ने अप्पाराव को अपने पास बुलाकर कहा, तुम कल मेरे घर आना। (मैं, अपना, तुम)
(ख) सेंटीला तुम्हारा घर नागालैंड के किस शहर में है? (तुम)
(ग) सुधा ने अपनी बुआ से पूछा, पापा आपसे कितने बड़े हैं? (आप)
(घ) मोहन को समझ में नहीं आ रहा कि उसे क्या करना चाहिए? (वह)
(ङ) विमल ने अपने अफ़सर को याद दिलाया कि उसे चार बजे बैठक में जाना है। (आप, वह)
इन वाक्यों को पूरा करो –
(क) वह इतना धीरे चल रहा था, मानो ………………………………………………………………
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(ख) रात में चमकते तारे ऐसे दिख रहे थे, मानो …………………………………………………..
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(ग) तुम तो मंगल ग्रह के बारे में ऐसे बता रहे हो, मानो ………………………………………..
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(घ) बिल्ली चूहे को ऐसी ललचाई नज़रों से देख रही थी, मानो ………………………………..
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(क) वह इतना धीरे चल रहा था, मानो चीटीं चल रही है।
(ख) रात में चमकते तारे ऐसे दिख रहे थे, मानो आकाश में तारों की चादर बिछी हो।
(ग) तुम तो मंगल ग्रह के बारे में ऐसे बता रहे हो, मानो तुम मंगलग्रह के वासी हो।
(घ) बिल्ली चूहे को ऐसी ललचाई नज़रों से देख रही थी, मानो अभी खा जाएगी।
“जी हाँ, हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं। सरपंच माधोसिंह भी हमें जानता है।” शिकारियों ने कर्नल साहब से क्या सोचकर ऐसा कहा होगा?
कर्नल साहब के रौब से बोलने व डाँटने पर वे डर गए होगें इसलिए उन्होंने कहा “हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं। सरपंच माधोसिंह भी हमें जानता है।”
बिशन घायल तीतर को क्यों बचाना चाहता था?
बिशन पक्षियों से बहुत प्यार था। वह जानता था कि शिकारी घायल तीतर को खेत में ढूँढ नहीं पायेगें। वे ऐसे ही उसे छोड़ जाएँगे। घायल तीतर उचित इलाज न मिल पाने के कारण मर जायेगा। अगर इनके हाथ लग गया तो वे इसे खा जाएँगे। इसलिए बिशन तीतर को बचाना चाहता था।
घायल तीतर को बचाने के लिए उसे किस तरह की परेशानियाँ हुई?
बिशन को घायल तीतर को बचाने के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। वह काँटेदार झाड़ियों में छिपता हुआ चल रहा था। जिसके कारण सारे काँटे उसे चुभ गए। वह लगातार दौड़ता रहा इसलिए पसीने में नहा गया था। उसकी कमीज़ की एक आस्तीन भी फट गई थी।
घायल तीतर अगर तुम्हें मिला होता, तो क्या तुम उसे पालते या अच्छा होने पर छोड़ देते? क्यों?
यदि घायल तीतर मुझे मिला होता तो मैं तीतर की देखभाल करती। उसके ठीक होने पर उसे ऐसे स्थान पर छोड़ती जहाँ उसके अन्य साथी भी उसे मिल जाते। तीतर अपने साथियों से मिलकर बहुत खुश हो जाता।
इस कहानी में सेबों के खेत और सीढ़ीनुमा खेत का ज़िक्र आया है। अनुमान लगाकर बताओ कि यह कहानी भारत के किस भौगलिक क्षेत्र की होगी और वहाँ सीढ़ीनुमा खेती क्यों की जाती होगी?
यह कहानी उत्तरी भाग जैसे हिमाचल प्रदेश, कश्मीर आदि की है। जहाँ सीढ़ीनुमा खेत होते हैं। पहाड़ी इलाकों में पहाड़ों को काटकर खेती के लिए ज़मीन तैयार की जाती है। अत: यहाँ की खेती सीढ़ीनुमा खेती होती है।
“सेबों के बाग में कीटनाशक दवा का छिड़काव हो रहा था।”
यों तो कीटनाशक दवाएँ फलों, सब्ज़ियों और अनाज की फ़सलों को कीड़ा लगने से बचाती हैं, पर
(क) ये कीटनाशक दवाएँ कीड़ों को नष्ट करती हैं। इनसे इनका सेवन करने से क्या हमें भी नुकसान होता होगा? पता करो और कक्षा में बातचीत करो।
(ख) ऐसे में फलों और सब्ज़ियों का इस्तेमाल करने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी होगा?
(क) खेतों में कीटनाशक दवाएँ छिड़की जाती हैं। यह दवाएँ कीड़ों को नष्ट करके फसल को बचाती हैं। परन्तु यह कीटनाशक दवाएँ हमारे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाती है।
(ख) फल सब्ज़ियों में कीटनाशक दवाएँ डाली जाती हैं इसलिए इन्हें अच्छी तरह धोना चाहिए। ऊपरी सत्तह निकाल देनी चाहिए।
कर्नल दत्ता ने घायल तीतर को गेंदें की पत्तियों का रस पिलाने के लिए कहा। पत्तों का इस्तेमाल कई कामों के लिए होता है। नीचे लिखी पत्तियों का इस्तेमाल किसलिए होता है?
तुलसी | नीम | मीठा नीम | आम |
अमरूद | तेजपत्ता | केला | सागवान |
तुलसी – इसका प्रयोग औषधी, चाय, पूजापाठ आदि में होता है। सर्दी दूर भगाने के लिए यह उपयोगी पत्ती है।
नीम – इसका प्रयोग फोडे-फुंसी, दवाइयों, साबुन आदि में होता है।
मीठा नीम – यह सब्ज़ियों व दालों में प्रयोग होता है। दक्षिण भारतीय खानों में भी इसका प्रयोग होता है।
आम का पत्ता – इसका प्रयोग पूजा, पाठ, हवन इत्यादि में होता है।
अमरूद का पत्ता – इसका प्रयोग औषधी में होता है। इसे चबाने से मूँह के छाले दूर होते हैं। पेट साफ होता है।
तेजपत्ता – इसका प्रयोग गरममसाला, सब्ज़ियाँ, पुलाव आदि बनाने में होता है।
केला – इसका प्रयोग दक्षिण भारत में भोजन की थाली की तरह और पूजा पाठ आदि में होता है।
सागवान – इसका प्रयोग दोने, पत्तल बनाने में, कपड़ों की रंगाई में और इससे खाकी रंग भी बनता है।
“कर्नल साहब के कहने पर बिशन दौड़कर ‘दवाइयों का बक्सा’ ले आया।” इसे तुम ‘प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स/फ़र्स्ट एड बॉक्स’ के नाम से जानते होंगे।
(क) इस बक्से में क्या-क्या चीज़ें होती हैं?
(ख) इसका इस्तेमाल कब-कब किया जाता है?
(क) इस बक्से में, कपड़े की पट्टियाँ, रूई, डिटोल, बेन्डेड, एक चिमटी, छोटी कैंची, कटने-छिलने आदि के लिए मरहम, सिरदर्द, उल्टी आदि की दवाइयाँ, पानी के लिए छोटा-सा गिलास आदि चीज़ें होती हैं।
(ख) इसका इस्तेमाल मामूली चोट लगने या छोटे-मोटे उपचार के लिए किया जाता है।
तुमने पर्यावरण अध्ययन में पढ़ा होगा कि पहाड़ी क्षेत्रों में आमतौर पर छतें ढलावदार बनाई जाती हैं। सोचकर बताओ कि ऐसा क्यों किया जाता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में छतें ढलावदार बनाने के पीछे महत्वपूर्ण कारण है। इन क्षेत्रों में बारिश और बर्फ बहुत होती है। यदि छतें ढलावदार न हो तो पानी व बर्फ छतों में ठहर जाएगा और मकान टूट जायेंगे। ढलावदार छतों में पानी व बर्फ ठहरता नहीं है। अत: मकान को कोई खतरा नहीं रहता।
इस कहानी में पहाड़ी, घाटी शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। पहाड़ी इलाके से जुड़े हुए और शब्द सोच कर लिखो। जैसे – ढलान, चट्टान आदि।
पगडंडी, झाड़ी, सीढ़ीनुमा खेत, चट्टानी, ढलावदार, बर्फीला, चोटियाँ, पर्वतीय, टेढ़ा-मेढ़ा, कँटीला, संकरा, पथरीला, ऊँचा-नीचा, छप्परदार आदि।
पहेली – तीतर के दो पीछे तीतर,
तीतर के दो आगे तीतर,
बोलो कितने तीतर?
तीन तीतर।
यहाँ तीतर का फ़ोटो दिया गया है। गौर से देखो और उसका वर्णन करो। चौथी में तुम यह कर चुके हो। |
तीतर एक छोटा पक्षी होता है। यह कुछ-कुछ कबूतर की तरह लगता है। परन्तु इसका रंग भूरा व कहीं-कहीं गहरा भूरा होता है। यह ज़्यादा ऊँचा नहीं उड़ सकता है। यह फुदक-फुदक कर चलता है। यह झुंड में रहता है और लड़ने में तेज़ होता है।
तीतर के बारे में और जानकारी इकट्ठा करो। जैसे – तीतर का घोंसला, वह क्या खाता है आदि।
तीतर का घोंसला छोटे-छोटे तिनको से बना होता है। यह हरी पत्तियाँ, छोटे फूल, छोटे-छोटे कीड़े खाता है। यह दिखने में सुन्दर लगता है।
सुबह सुबह दस वर्ष का बिशन घर से बाहर निकल आया। वह रोज इसी समय, इसी रास्ते से कर्नल दत्ता के फार्म हाउस पर उनकी पत्नी से पढ़ने जाता है। अचानक उसे गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। थोड़ी ही देर बार दो-तीन गोलियाँ एकसाथ चलीं। गोलियों की आवाज़ से पूरी घाटी गूंज गई। बिशन डर गया और पेड़ों की आड़ में छिप गया। अभी वह सोच ही रहा था कि गोली किसने और क्यों चलाई होगी कि तभी एक और गोली की आवाज़ आई। अचानक बिशन को गोली चलने का कारण समझ में आ गया। दरअसल शिकारी गेहूं के खेतों में दाना चुगते तीतरों को मारने के लिए उन पर गोली चलाते हैं। बिशन दुखी हो गया। वह समझ गया कि शिकारी ही तीतरों पर गोलियाँ चला रहे हैं। फिर तो वह पेड़ों के बीच से निकलकर खेतों के किनारे-किनारे चलने लगा। चलते-चलते उसने शिकारियों को सबक सिखाने का निर्णय ले लिया। तभी उसकी नज़र एक घायल तीतर पर पड़ गई। उसने स्वेटर उतारकर उस पर (तीतर पर) डाल दिया और जब वह स्वेटर में फँस गया तो उसे पकड़ लिया। उसने उसे सीने से चिपका लिया और तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ पड़ा ताकि किसी शिकारी की नज़र उस पर न पड़े। लेकिन जिस बात का उसे डर था वही हुआ। वह कुछ ही दूर गया होगा कि पीछे से किसी की भारी आवाज़ सुनाई दी, “लड़के, रुक जा, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा।” बिशन का दिल तेजी से धड़कने लगा। डर के बावजूद उसने आगे बढ़ना जारी रखा। अचानक शिकारी उसके काफी नजदीक आ गया। वह गुस्से में चिल्ला रहा था, “मैं तुझे देख लूंगा, तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता।” बिशन के लिए आगे निकल भागने का रास्ता नहीं था। अतः उसने खेतों के छोटे रास्ते, जो काँटेदार झाड़ियों से भरे थे, से जाना निश्चित किया। बहुत संभलकर चलने के बावजूद उसके हाथ-पैर पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं। लेकिन किसी तरह वह कर्नल दत्ता के फार्म हाउस के अंदर पहुँच ही गया। तीतर को वह सीने से लगाए रहा। फार्म हाउस में खामोशी थी। एकाएक कर्नल दत्ता का अल्सेशियन कुत्ता भौंकने लगा। बिशन समझ गया कि शिकारी इधर ही आ रहे हैं। उसने झट तीतर को सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया और बाहर निकल गया और शिकारियों की नजर से बचने के लिए खपरैल की ढलावदार छत पर चिमनी के पीछे छिपकर बैठ गया। यहाँ उसे कोई नहीं देख सकता था लेकिन वह सब कुछ देख सकता था। वह देख रहा था कि कर्नल साहब का अल्सेशियन कुत्ता कैसे इधर ही चले आ । रहे शिकारियों को देखकर भौंके जा रहा था। आखिरकार शिकारी कर्नल साहब के नजदीक पहुँच ही गए। उन्होंने कर्नल साहब से कहा कि अभी-अभी एक लड़का हमारे शिकार तीतर को लेकर आपके यहाँ छिपा है, हम उसे ही ढूँढ़ रहे हैं। कर्नल साहब आपे से बाहर हो गए। उन्होंने शिकारियों को खूब डाँटा और वहाँ से भगा दिया। बिशन चिमनी के पीछे से देख और सुन रहा था। शिकारियों के जाते ही वह घायल तीतर को लेकर घर की मालकिन (कर्नल दत्ता की पत्नी) के पास पहुँच गया। कर्नल साहब भी वहाँ पहुँच गए। फिर दोनों ने मिलकर तीतर का उपचार किया। कर्नल साहब की पत्नी ने उसे दलिया खिलाया। फिर बिशन उसे लेकर अपने घर चला गया।