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NCERT Solutions for class 7 Hindi Vasant chapter 18 – संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया: धनराज by विनीता पांडेय


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साक्षात्कार से

प्रश्न 1.
साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्लै की छवि उभरती है कि वे गरीबी में पल-बढ़े एक स्वाभिमानी व्यक्ति हैं। वे देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं। हॉकी खेल में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करने का जरा भी उनमें अभिमान नहीं है। आम लोगों की भाँति लोकन ट्रेनों में सफ़र करने में भी कतरफ्तें नहीं हैं। उन्होंने जमीन से उठकर आसमान तक पहुँचने का सफ़र तय किया है। एक अभावग्रस्त बचपन जीने वाला यह व्यक्ति आज नामी खिलाड़ी है। फिर भी विशेष लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। वह स्वयं को बहुत असुरक्षित अनुभव करते हैं, अतः उनके स्वभाव में तुनुकमिज़ाजी आ गई है। वह अपनी माँ तथा भाभी का बहुत सम्मान करते हैं। वह मेहनती हैं, जुझारू हैं। आज भी आम इनसान की तरह साधारण जीवन जीने में उसे आज भी कोई संकोच नहीं होता है। उनका हॉकी से गहरा लगाव है। उन्हें पता है कि हॉकी से ही उन्हें यह सम्मान और प्यार मिला है। वह एक दयालु, सरल, एवं भावुक व्यक्ति हैं।

प्रश्न 2.
धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए। [Imp.]
उत्तर
यह कहना अनुचित नहीं कि धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने का सफर तय किया है क्योंकि वे बहुत ही साधारण परिवार से थे उनका बचपन बहुत मुश्किलों भरा था। एक हॉकी स्टिक खरीदने की भी उनकी हैसियत नहीं थी। लेकिन उनकी चाह, मेहनत व लगन ने उन्हें जीवन की सब मुश्किलों का सामना करने की शक्ति दी और इस खिलाड़ी ने विश्व-स्तरीय ख्याति प्राप्त करके ही दम लिया। 1985 में वे जूनियर हॉकी टीम में चुने गए। 1986 में उन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया। 1989 में ऑलविन एशिया कप के मैच में चुने जाने के बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा निरंतर सफलता की ओर ही बढ़ते रहे हैं।

प्रश्न 3.
‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ – धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर-
धनराज पिल्लै की इस बात का यह अर्थ है कि उनकी माँ उन्हें विनम्र बने रहने के संस्कार दिए हैं। प्रायः लोग अपनी ख्याति में पगला जाते हैं और इसे सहज भाव में स्वीकार नहीं कर पाते। धनराज के व्यक्तित्व के निर्माण में उनकी माँ का बहुत योगदान है तथा माँ ने उन्हें विनम्रता का संस्कार दिया है। इसका तात्पर्य यह है कि मनुष्य चाहे कितनी भी सफलता पा ले, उसे कभी अहंकार नहीं करना चाहिए और किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। धनराज ने अपनी माँ की दी हुई सीख को जीवन में उतारा है।।

साक्षात्कार से आगे

प्रश्न 1.
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर-
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्योंकि जैसे जादूगर अपनी दाँव-पेंच से हमारी ही आँखों के सामने न जाने क्या-क्या करतब दिखाते हैं और हम दाँतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं। वैसे ही ध्यानचंद भी हॉकी खेलने में माहिर है। कोई भी ऐसा दाव पेंच नहीं जो उन्हें न आता हो। कोई भी उन्हें हॉकी में पराजित नहीं कर सकता। यही कारण था कि उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।

प्रश्न 2.
किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर
भारत में हॉकी सबसे पुराना खेल है। इसे राजा-महाराजाओं से लेकर देहात के लोग भी चाव से खेला करते थे। इस खेल में भारतीयों की रुचि कभी कम नहीं हुई। न ही इस खेल को खेलने हेतु अधिक पैसों की आवश्यकता पड़ती है। पुराने जमाने में तो पेड़ों की टहनियों द्वारा ही इस खेल को खेला जाता था। यह खेल वर्षों से निरंतर आगे ही बढ़ता रहा है और अपना लंबा इतिहास रखता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय खेल माना जाता है।

प्रश्न 3.
आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़े और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।