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(क) बताओ, इनमें किन चीज़ों पर तुम झूले की तरह झूल सकते हो?
टायर |
फाटक |
झाड़ू |
दरी |
मेज़ |
डाली |
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पैर वाला झूला |
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अलमारी |
(ख) मुझे …………………………….. पर झूलने में मज़ा आता है।
मुझे …………………………….. पर झूलने में डर लगता है।
मुझे …………………………….. पर झूलने पर डाँट पड़ती है।
(ग) तुम इन झूलों पर भी झूले होगे। इन झूलों को तुमने कहाँ-कहाँ देखा है?
मेला |
स्कूल |
पार्क |
घर का आँगन |
बगीचा |
1. ………………
2. ……………….
3. ……………….
4. ……………….
5. ……………….
6. ……………….
(क) टायर- टायर को हम रस्सी के सहारे पेड़ पर लटका सकते हैं और इसमें बैठकर झूल सकते हैं।
फाटक- फाटक पर खड़े हो सकते हैं और फिर इसमें झूल सकते हैं।
डाली- डाली पर हम लटक सकते हैं या फिर इस पर रस्सी डालकर झूल सकते हैं।
पैरों- पैरों पर बैठ सकते हैं और दूसरे का हाथ पकड़कर झूल सकते हैं।
(ख) मुझे फाटक पर झूलने में मज़ा आता है।
मुझे डाली पर झूलने में डर लगता है।
मुझे फाटक पर झूलने पर डाँट पड़ती है।
(ग)
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घर के आँगन में और पार्क में |
मेले में |
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घर के आँगन में |
पार्क में |
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मेले में |
पार्क में |
(क)
(ख) खाली जगह भरो और फिर छुपने की इन जगहों पर बच्चों के चित्र बनाओ।
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….पेड़…. के पीछे |
………….. के नीचे |
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………….. के नीचे |
………….. के पीछे |
(ख)
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….पेड़….. के पीछे |
……मेज़…….. के नीचे |
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…….चारपाई……. के नीचे |
…….झाड़ी……. के पीछे |
ऊपर बनी चीज़ों के नाम उन अक्षरों के नीचे लिखो जो उनमें आते हैं।
ठ |
छ |
म |
अ |
न |
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मछली |
मछली |
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यहाँ मछली दो बार लिखा गया है। क्या किसी और चीज़ का नाम भी तुमने दो बार लिखा है?
ठ |
छ |
म |
अ |
न |
ठेला गठरी |
मछली छतरी |
मछली अलमारी
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अनार अलमारी |
अनार नल नाव |
हाँ हमने अलमारी और अनार का नाम भी दो बार लिखा है।
अम्मा आज लगा दे झूला,
इस झूले पर मैं झूलूंगा।
उस पर चढ़कर, ऊपर बढ़कर,
आसमान को मैं छू लूंगा।
झूला झूल रही है डाली,
झूल रहा है पत्ता-पत्ता।
इस झूले पर बड़ा मज़ा है,
चल दिल्ली, ले चल कलकत्ता।
झूल रही नीचे की धरती,
उड़े चले, उड़े चल,
उड़ चल, उडु चल।
बरस रहा हैं रिमझिम, रिमझिम,
उड़कर मैं लूटू दल-बादल।
Amma set the swing today,
I will swing on this swing.
Mounted on it, rising up,
I will touch the sky.
The swing is swinging,
The leaf is swinging.
There is great fun on this swing,
Come Delhi, take Calcutta.
Swinging earth below,
Go away, go flying
Go flying, go to Udu.
It is roasting, rimjhim,
I am a robbery party cloud by flying.
अम्मा आज लगा दे झूला,
इस झूले पर मैं झूलूंगा।
उस पर चढ़कर, ऊपर बढ़कर,
आसमान को मैं छू लूंगा।
झूला झूल रही है डाली,
झूल रहा है पत्ता-पत्ता।
इस झूले पर बड़ा मज़ा है,
चल दिल्ली, ले चल कलकत्ता।
व्याख्या – उपर्युक्त पंक्तियों में एक बच्चा अपनी माँ से अपने लिए झूला लगाने को कह रहा है। बच्चा अपनी माँ से कह रहा है कि वह उसके लिए एक झूला लगा दे, ताकि वह उस पर चढ़कर और ऊपर उठकर आसमान को छू सके।
झूले के साथ पेड़-पौधे की डालियाँ तथा पत्ते भी झूल रहे हैं। झूले पर बैठकर आनंदित होता बच्चा अपनी कल्पना की उड़ान में झूले को दिल्ली और कलकत्ता ले चलने की बात करता है।
झूल रही नीचे की धरती,
उड़े चले, उड़े चल,
उड़ चल, उडु चल।
बरस रहा हैं रिमझिम, रिमझिम,
उड़कर मैं लूटू दल-बादल।
व्याख्या – उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कह रहा है कि झूले पर झूलते बच्चे को नीचे की धरती भी झूलती नज़र आ रही है। बच्चा अपने झूले को और ऊपर उड़ने के लिए कहता है। वर्षा की हल्की फुहार के बीच बच्चे के मन में आकाश में छाए बादलों को लूटने के विचार भी उमड़-घुमड़ रहे हैं।