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प्रश्न 1.
कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ….. कालकूट फणि की चिंतामणि’
(क)‘वही स्वर’ ‘वह ध्वनि’ एवं ‘वही तान’ आदि वाक्यांश किसके लिए किस/भाव के लिए प्रयुक्त हुआ है?
(ख)वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरी अंतरतर से’-पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है?
उत्तर
प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए
“सावधान! मेरी वीणा में ………. दोनों मेरी ऐंठी हैं।
उत्तर-
उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि लोगों को संदेश देते हुए कहते हैं कि परिवर्तन के प्रति सावधान रहने की जरूरत है। और वीणा से कोमल स्वर निकलने की बजाय कठोर स्वर निकलने के कारण उसकी उँगलियों से मिज़राबें टूटकर गिए गईं, जिससे अँगुलियाँ ऐंठ जाती हैं।
कविता से आगे
• स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ की ऐसी कविताओं की चार-चार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।
उत्तर