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तुम्हें किसी-न-किसी बात पर रूठने के मौके तो मिलते ही होंगे –
(क) अक्सर तुम किस तरह की बातों पर रूठती हो?
(ख) माँ के अलावा घर में और कौन-कौन हैं जो तुम्हें मनाते हैं?
(क) जब मुझे अपनी मनपसंद वस्तुएँ नहीं मिलती हैं, तब मैं रूठ जाती हूँ।
(ख) माँ के अलावा घर के सभी सदस्य जैसे दादा-दादी, बड़े भाई-बहन आदि मुझे मनाते हैं।
हम ऐसे कई त्योहार मनाते हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत पर बल देते हैं। ऐसे त्योहारों के बारे में और उनसे जुड़ी कहानियों के बारे में पता करके कक्षा में सुनाओ।
दशहरा और होली ऐसे त्योहार हैं, जिनमें बुराई पर अच्छाई की जीत पर बल दिया जाता है। दशहरा में राम की जीत व होली में होलिका दहन की कहानी है।
दशहरा- इस दिन श्रीराम ने लंका के राजा रावण को मारकर अपनी पत्नी सीता को मुक्त करवाया था। रावण राक्षसों का राजा था। उसने समस्त भूमंडल पर अधिकार कर लिया था। स्वर्ग के देवता भी उसके कारागार में बंदी थे। देवता से लेकर मानव तक उसके अत्याचारों से परेशान थे। एक दिन राम की अनुपस्थिति में उसने बलपूर्वक सीता का हरण कर लिया। अत: राम ने सुग्रीव के साथ मिलकर लंका पर चढ़ाई की। युद्ध में रावण राम के हाथों मारा गया। राम ने पूरे भूमंडल को उसके अत्याचारों से मुक्त करवाया। दशहरा राम की रावण पर विजय और अधर्म पर धर्म की जीत की कहानी कहता है।
होली- होली के साथ अनेक दंत-कथाएँ जुड़ी हुई हैं। होली से एक दिन पहले पूर्णिमा की रात्रि को होली जलाई जाती है। कहा जाता है कि ‘भक्त प्रह्लाद’ के पिता राक्षस राज ‘हिरण्यकश्यप’ स्वयं को भगवान मानता था। वह विष्णु का परम विरोधी था। इसके विपरीत उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से बहुत रोका परन्तु वे नहीं माने। अहंकारी हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के अनेक प्रयास किए परन्तु वे हर बार बच गए। हिरण्यकश्यप ने तंग आकर अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी। होलिका अपने भाई की सहायता के लिए तैयार हो गई। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग नहीं जला सकती है। होलिका प्रह्लाद को मारने की इच्छा लेकर चिता में जा बैठी। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए परन्तु होलिका जलकर भस्म हो गई। उसी दिन से होलिका दहन किया जाता है। होली भी अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाई जाती है।
तुमने रामलीला के ज़रिए या फिर किसी कहानी के ज़रिए रामचंद्र के बारे में जाना-समझा होगा। तुम्हें उनकी कौन-सी बातें अच्छी लगीं?
हमें रामचंद्र की ये बातें अच्छी लगती हैं।- 1. रामचंद्र आज्ञाकारी पुत्र थे। 2. वे धर्म के मार्ग पर चलने वाले थे। 3. बड़ों का आदर करते थे। 4. सत्य के मार्ग पर चलते थे। 5. वचन के पक्के थे। 6. सच्चे मित्र थे। 7. वीर और साहसी थे।
नीचे दिए गए भाव कविता की जिन पंक्तियों में आए हैं, उन्हें छाँटो –
(क) खिलौनेवाला साड़ी नहीं बेचता है।
(ख) खिलौनेवाला बच्चों को खिलौने लेने के लिए आवाज़ें लगा रहा है।
(ग) मुझे कौन-सा खिलौना लेना चाहिए – उसमें माँ की सलाह चाहिए।
(घ) माँ के बिना कौन मनाएगा और कौन गोद में बिठाएगा।
(क) कभी खिलौनेवाला भी माँ
क्या साड़ी ले आता है।
(ख) नए खिलौने ले लो भैया
ज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।
(ग) कौन खिलौना लेता हूँ मैं
तुम भी मन में करो विचार।
(घ) तो कौन मना लेगा
कौन प्यार से बिठा गोद में
मनचाही चीज़ें देगा।
‘मूँगफली ले लो मूँगफली!
गरम करारी टाइम पास मूँगफली!’
तुमने फेरीवालों को ऐसी आवाज़ें लगाते ज़रूर सुना होगा। तुम्हारे गली-मोहल्ले में ऐसे कौन-से फेरीवाले आते हैं और वे किस ढंग से आवाज़ लगते हैं? उनका अभिनय करके दिखाओ। वे क्या बोलते हैं, उसका भी एक संग्रह तैयार करो।
हम आपको फेरीवालों द्वारा बोले जाने वाली तीन पंक्तियां दे रहे हैं। आप अपने यहाँ आने वाले फेरीवालों की आवाज़ों को सुनो और उनको लिखो। इस तरह अपना संग्रह बनाओ।
१. बढ़िया करारी गोला-गिरी!
मीठी-मज़ेदार गोला-गिरी!
२. दस रुपये के चार, दस रुपये के चार!
मन को भा जाएँ, ऐसे संतरे चार!
३. मीठा रसीला गन्ना ले लो!
फिर न मिलेगा गन्ना ले लो!
(नोट: इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं करें।)
(क) तुम यहाँ लिखे खिलौनों में से किसे लेना पसंद करोगी। क्यों?
गेंद | हवाई जहाज़ | मोटरगाड़ी |
रेलगाड़ी | फिरकी | गुड़िया |
बर्तन सेट | धनुष-बाण | बल्ला या कुछ और |
(ख) तुम अपने साथियों के साथ कौन-कौन से खेल खेलती हो?
(क) मैं गुड़िया लेना पसंद करूँगी। मेरे पास पहले से ही ये सारे खिलौने हैं। एक गुड़िया नहीं थी इसलिए मैं गुड़िया लूँगी। उसे सजाऊँगी और उसके साथ खेलूँगी।
(ख) मैं अपने साथियों के साथ क्रिकेट, लूडो, पाला, व्यापार, पकड़म-पकड़ाई इत्यादि खेल खेलती हूँ।
(नोटः विद्यार्थी दोनों प्रश्नों के उत्तर स्वयं की समझ से दें।)
खिलौनेवाला शब्द संज्ञा में ‘वाला’ जोड़ने से बना है। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्सों को ध्यान से देखो और संज्ञा, क्रिया आदि पहचानो।
पानवाले की दुकान आज बंद है।
मेरी दिल्लीवाली मौसी बस कंडक्टर हैं।
महमूद पाँच बजे वाली बस से आएगा।
नंदू को बोलने वाली गुड़िया चाहिए।
दाढ़ीवाला आदमी कहाँ है?
इस सामान को ऊपर वाले कमरे में रख दो।
मैं रात वाली गाड़ी से जम्मू जाऊँगी।
पानवाला – जातिवाचक संज्ञा
दिल्लीवाली – व्यक्तिवाचक संज्ञा
पाँच बजे वाली – विशेषण
बोलने वाली – क्रिया
दाढ़ीवाला – संज्ञा
ऊपर वाले – क्रिया विशेषण
रात वाली – विशेषण
क्या तुमने रामलीला देखी है? रामलीला की किसी एक लघु-कहानी को चुनकर कक्षा में अपनी रामलीला प्रस्तुत करो।
इस प्रश्न का उत्तर छात्रों को स्वयं ही करना है। इसमें अभिनय करने के लिए कहा गया है। अत: इसे छात्रों को स्वयं ही करना पड़ेगा। हम आपको विषय बता सकते हैं। बच्चे भरत और राम मिलाप पर रामलीला का मंचन कर सकते हैं।
इस कविता में तीन नाम– राम, कौशल्या और ताड़का आए हैं।
(क) ये तीनों नाम किस प्रसिद्ध कथा के पात्र हैं?
(ख) यहीं रहूँगा कौशल्या मैं तुमको यहीं बनाऊँगा।
इन पंक्तियों का कथा से क्या संबंध है?
(ग) इस कथा के कुछ संदर्भों की बात कविता में हुई है। अपने आस-पास पूछकर इनका पता लगाओ।
तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों को मैं मार भगाऊँगा।
तुम कह दोगी वन जाने को हँसते-हँसते जाऊँगा।
(क) ये तीनों पात्र “रामायण” के हैं। रामायण को रामचरितमानस के नाम से भी जाना जाता है।
(ख) इन पंक्तियों का कथा से संबंध है कि कविता का बच्चा अपनी माँ के पास रहना चाहता है। वह अपनी माँ को कौशल्या और स्वयं को रामचंद्र मानता है। रामचंद्र जी चौदह वर्षों के लिए अपनी माँ से दूर हो गए थे। परंतु बच्चा अपनी माँ से दूर नहीं जाएगा। वह कौशल्या के साथ ही रहेगा।
(ग) श्री रामचंद्र ने ऋषि मुनियों की तपस्या सफल कराने के लिए राक्षसों का वध किया।
रामचंद्र जी अपने माता-पिता की खुशी के लिए चौदह वर्षों के लिए वन में चले गए थे।
बालक अपनी माँ से कहता है कि आज फिर खिलौनेवाला तरह-तरह के खिलौने लेकर आया है। उसके पास पिंजड़े में हरा-हरा तोता, गेंद, मोटरगाड़ी, गुड़िया आदि खिलौने हैं। रेलगाड़ी चाबी भर देने पर चलने लगती है। खिलौनेवाले के पास छोटे-छोटे धनुष-बाण भी हैं। वह जोर-जोर से आवाज दे रहा है ताकि बच्चे उसके पास आएं और खिलौने खरीदें। मुन्नू ने गुड़िया खरीदी है और मोहन ने मोटरगाडी। मुझे भी माँ से चार पैसे मिले हैं। लेकिन मैं अन्य बच्चों की तरह तोता, बिल्ली, मोटर आदि नहीं खरीदूंगा। मैं तो तलवार या तीर-कमान खरीदूंगा। फिर मैं जंगल में जाकर राम की तरह किसी ताड़का को मार गिराऊँगा। मैं राम बनूंगा और माँ को कौशल्या बनाऊँगा। बालक माँ से कहता है कि उसके आदेश पर वह हँसते-हँसते जंगल को चला जाएगा। लेकिन बालक तुरंत चिंतित हो उठता है। वह कहता है कि हे माँ, मैं तुम्हारे बिना जंगल में कैसे रह पाऊँगा? वहाँ पर किससे रूढ़ेगा और कौन मुझे मनाएगा और गोद में बिठाकर चीजें देगा?