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अकबर को पहरेदार की दखलंदाज़ी अच्छी क्यों नहीं लगी?
अकबर एक नेक दिल राजा था। वह अपनी प्रजा का भला चाहता था। समय-समय पर सबकी सहायता करने या बातचीत करने के लिए लोगों से मिलता-जुलता रहता था। केशव उसे आम इंसान समझकर बातें कर रहा था। पहरेदार के आने से उनकी बातचीत में बाधा आ गई थी इसलिए पहरेदार की दखलंदाजी अकबर को पसंद नहीं आई।
“लगता है कोई बहुत बड़ा आदमी है”, यहाँ पर ‘बड़े आदमी’ से केशव का क्या मतलब है?
यहाँ बड़े आदमी से केशव का मतलब अमीर और प्रतिष्ठित आदमी से है।
“खरगोश की–सी कातर आँखें”
पशु-पक्षियों से तुलना करते हुए और भी बहुत-सी बातें कही जाती हैं जैसे – ‘हिरन जैसी चाल’। ऐसे ही कुछ उदाहरण तुम भी बताओ।
• शेर जैसी दहाड़
• मोरनी जैसी गर्दन
• कोयल जैसी आवाज़
• हाथी जैसी चाल
• हिरन जैसी आँख
• लोमड़ी जैसी चालाकी
• कुत्ते जैसी नाक
अकबर ने जब नक्काशी सीखना चाहा, तो केशव ने उन्हें संदेहभरी नज़रों से क्यों देखा?
अकबर एक बहुत बड़े बादशाह थे। उन्हें इस प्रकार के कार्य करने की आवश्यकता नहीं थी।जब उन्होंने केशव जैसे मामूली मज़दूर के साथ बैठकर पत्थर तराशने की इच्छा रखी, तो उसे बड़ी हैरानी हुई। उसका मन नहीं मान रहा था कि एक बादशाह उससे नक्काशी बनना सीखेंगे इसलिए उसने उन्हें संदेहभरी नज़रों से देखा।
केशव दस साल का है। क्या उसकी उम्र के बच्चों का इस तरह के काम से जुड़ना ठीक है? अपने उत्तर के कारण ज़रूर बताओ।
केशव अभी केवल दस साल का है। उसकी उम्र के बच्चों का इस तरह के काम से जुड़ना ठीक नहीं है। वह बहुत छोटा है। इस उम्र में तो बच्चे पढ़ते-लिखते हैं और केशव केवल काम करता है। इस तरह उसका बचपन काम में समाप्त हो जाएगा। इस तरह वह अपनी उम्र से पहले ही बड़ा हो जाएगा और अपने बचपन को पूरी तरह जी नहीं पाएगा।
“केशव बार-बार सबको सुनाता।”
केशव सबसे क्या कहता होगा? कल्पना करके केशव के शब्दों में लिखो।
केशव कहता होगा मैं बादशाह अकबर से मिला। वे मेरे पास बैठे, उन्होंने मुझे कारखाने में काम करने के लिए कहा आदि।
“माशा अल्लाह! ये घंटियाँ कितनी सुंदर हैं! तुमने खुद बनाई हैं?”
बादशाह अकबर ने यह बात किसलिए कही होगी –
(क) केशव के काम की तारीफ़ में
(ख) यह जानने के लिए कि घंटियाँ कितनी सुंदर हैं।
(ग) केशव से बातचीत शूरू करने के लिए
(घ) घंटियाँ किसने बनाई, यह जानने के लिए
(ङ) क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि 10 साल का बच्चा केशव इतनी सुंदर घंटियाँ बना सकता है।
(च) कोई और कारण जो तुम्हें ठीक लगता हो।
(ङ) क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि 10 साल का बच्चा केशव इतनी सुंदर घंटियाँ बना सकता है।
केशव पत्थर पर घंटियाँ तथा कड़ियाँ तराश रहा था। उसके द्वारा तराशी जा रही घंटियों और कड़ियों का चित्र अपनी कॉपी में बनाओ। तुम्हें क्या कोई खास इमारत याद आ रही है जिसमें नक्काशी की गई हो। संभव हो तो उसकी तस्वीर चिपकाओ।
ताजमहल, अक्षरधाम मंदिर ऐसे हैं, जिसमें सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
केशव के पिता गुजरात से आगरा आकर बस गए थे। हो सकता है तुम या तुम्हारे कुछ साथियों के माता-पिता भी कहीं और से यहाँ आकर बस गए हों। बातचीत करके पता लगाओ कि ऐसा करने के क्या कारण होते हैं?
मुझे दादा तथा पिताजी से बातचीत करके पता लगा कि इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे – रोज़गार, नौकरी, व्यापार आदि के लिए लोग एक जगह से दूसरी जगह आकर बस जाते हैं।
(क) नक्काशी जैसे किसी एक काम को चुनो (बढ़ईगिरि, मिस्त्री इत्यादि) जिसमें औज़ारों का इस्तेमाल होता है। उन ख़ास औज़ारों के नाम और काम पता करके लिखो।
(ख) छैनी, हथौड़ा, तराशना, किरचें – ये सब पत्थर के काम से जुड़े हुए शब्द हैं। लकड़ी के दुकानदार और बढ़ई से बात करके लकड़ी के काम से जुड़े शब्द इकट्ठे करो और कक्षा में उन पर सामूहिक रूप से बातचीत करो। कुछ शब्द हम यहाँ दे रहे हैं।
आरी, रंदा, बुरादा, प्लाई, सूत…….
(ग) हो सकता है कि तुम्हारे इलाके में इन चीज़ों और कामों के लिए कुछ अलग किस्म के शब्द इस्तेमाल होते हों। उन पर भी बातचीत करो।
(क)
आरी – लकड़ी काटने के लिए
हथौड़ी – कील ठोकने के लिए
रंदा – लकड़ी घिसने के लिए
जमूर – कील उखाड़ने के लिए
(ख) छात्र स्वयं करें।
(ग) छात्र स्वयं करें।
‘कटाव’ शब्द ‘कट’ क्रिया से पैदा हुआ है। नीचे लिखी संज्ञाएँ किन क्रियाओं से बनी हैं? इन संज्ञाओं का अर्थ समझो और वाक्य में प्रयोग करो।
चुनाव पड़ाव बहाव लगाव
संज्ञा | क्रिया | वाक्य | |
चुनाव | चुनना | अच्छी किताब का चुनाव कर लो। | |
पड़ाव | पड़ना | आज यहीं पड़ाव डाल लो। | |
बहाव | बहना | गंगा का बहाव बहुत तेज़ है। | |
लगाव | लगना | उसे अपने से बहुत लगाव है। |
“लड़के ने जल्दी-जल्दी कोई प्रार्थना बुदबुदाई।”
रेखांकित शब्द और नीचे लिखे शब्दों में क्या अंतर है? वाक्य बनाकर अंतर स्पष्ट करो।
फुसफुसाना, बड़बड़ाना, भुनभुनाना।
फुसफुसाना – (धीरे से कुछ बोलना) गीता ने सहेली के कान में फुसफुसाया।
बड़बड़ाना – (किसी बात को मुँह में ही बार-बार बोलना) वह बहुत ही बड़बड़ाता है।
भुनभुनाना – (गुस्से से धीरे बोलना) भुनभुनाना अच्छी बात नहीं है।
“बेवकूफ़, खड़ा हो। हुज़ूरे आला के सामने बैठने की जुर्रत कैसे की तूने! झुककर इन्हें सलाम कर।”
महल के पहरेदार ने केशव से यह इसीलिए कहा, क्योंकि –
(क) बादशाह के सामने बैठे रहना उनका अपमान करने जैसा है।
(ख) पहरेदार यह कहकर अपनी वफ़ादारी दिखाना चाहता था।
(ग) पहरेदार को बादशाह के आने का पता नहीं चला, इसीलिए वह घबरा गया था।
(घ) बादशाह का केशव से बात करना पहरेदार को अच्छा नहीं लगा।
महल के पहरेदार ने केशव से यह इसीलिए कहा, क्योंकि –
(ख) पहरेदार यह कह कर अपनी वफ़ादारी दिखाना चाहता था।
दस साल का नन्हा केशव अपने पिता की तरह पत्थर पर छेनी-हथौड़े से नक्काशी का काम करता था। दरअसल केशव अभी काम सीख रहा था। पिता के एक बार करके दिखा देने पर वह सीधी लकीरों वाले और घुमावदार डिज़ाइन उकेर सकता था। पर उसे घंटियाँ बनाना ज्यादा मुश्किल लगता था। वह होनहार बालक था। उसे पूरी तरह विश्वास था कि एक दिन वह अपने पिता की तरह बारीक जालियाँ, महीन-नफीस बेल बूटे, कमल के फूल, लहराते हुए साँप और इठलाकर चलते हुए घोड़े पत्थर पर उकेर पाने में अवश्य सफल होगा। केशव के जन्म के पहले ही उसके माता-पिता गुजरात से आगरा में आकर बस गए थे। बादशाह अकबर उस समय आगरे का किला बनवा रहे थे और केशव के पिता को यहीं काम मिल गया था। केशव का जन्म आगरे में ही हुआ था। लेकिन अब वह सीकरी में रहता है। एक दिन जब वह अपने काम में लगा था एक आदमी, जो वास्तव में बादशाह अकबर थे, उसके पास आकर खड़ा हो गया और उसके द्वारा बनाई हुई घंटियों की बड़ाई करने लगा। वह सफेद अँगरखा और पाजामा पहने हुए था। उसके लंबे बाल गहरे लाल रंग की पगड़ी में अच्छी तरह से ढंके हुए थे। केशव उसे पहचाना नहीं लेकिन इतना वह जरूर समझ गया कि वह कोई बड़ा आदमी है। अभी केशव उस आदमी के व्यक्तित्व का मुआयना कर ही रहा था कि तभी एक पहरेदार ने आकर उसे सावधान किया कि जो आदमी उसके सामने खड़ा है वह बादशाह अकबर हैं और वह उनसे काफी अदब से खड़े होकर बात करे।। केशव हक्का-बक्का रह गया। बदहवासी में छेनी उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गई और वह जल्दी से उठकर खड़ा हो गया। उसने बादशाह को झुककर सलाम किया। उसका दिल धक-धक कर रहा था। लेकिन बादशाह की मुस्कुराहट देखकर वह बहुत जल्दी भयमुक्त हो गया। अकबर ने केशव के सामने नक्काशी सीखने की इच्छा प्रकट की। केशव तुरंत छेनी-हथौड़ा लाया और बादशाह को उनसे काम करना सिखाने लगा। बादशाह उसके पास जमीन पर बैठ गए। केशव ने कोयले के टुकड़े से पत्थर पर लकीरें खींचकर एक आसान-सा नमूना बनाया और उसे बादशाह को ध्यान से तराशने के लिए कहा। अकबर ने पत्थर पर छेनी रखी और जोर से हथौड़े से वार किया, जिससे कटाव बहुत गहरा हो गया। केशव ने तुरंत गलती पकड़ी और बादशाह को हिदायत दी कि वे हथौड़े को आहिस्ता से मारे। इस समय वह बिल्कुल भूल गया था कि उसकी बगल में बैठा व्यक्ति हिंदुस्तान का बादशाह है। एक अनाड़ी से वयस्क पर अपने काम की धाक जमाने में उसे मजा आ रहा था। लकीरें उकेरते। समय अगर बादशाह से थोड़ी भी गलती हो जाती तो उसे गुस्सा आ जाता। केशव के काम करने के अंदाज को देखकर अकबर ने धीमे से कहा, “केशव, देखना, एक दिन तुम बड़े फुनकार बनोगे। हो सकता है एक दिन तुम मेरे कारखाने में काम करो।” नन्हा केशव कारखाने वाली बात समझ न सका। फिर अकबर ने उसे बताया कि महल तैयार हो जाने के बाद जब लोग आगरा में आकर रहने लगेंगे, तब वे एक कारखाना बनवाएंगे। इस कारखाने में सल्तनत के सबसे बढ़िया फ़नकार और शिल्पकार काम करेंगे। यह सुनकर लड़के का चेहरा चमक उठा। उसे भरोसा हो गया कि जब कारखाना खुलेगा तब उसे काम अवश्य मिलेगा। रात हो गई। केशव धीरे-से अपने पिता के बिस्तर में घुस गया और पूछ बैठा, “बादशाह के पास आगरा में एक से बढ़कर एक खूबसूरत महल हैं। फिर वे सीकरी में यह शहर क्यों बनवा रहे हैं?” पिता ने उसे बताया कि जब बादशाह की कोई संतान नहीं थी तब वे सीकरी में ख्वाजा सलीम चिश्ती के पास आए थे। उनके आशीर्वाद से बादशाह को तीन-तीन संतानें हुईं-शाहज़ादा सलीम, मुराद और दनियाल । फिर उन्होंने ख्वाजा सलीम चिश्ती के सम्मान में सीकरी में नगर बसा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने एक बेटे का नाम भी सलीम रख दिया।