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प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में अधिक मदद करती है। [CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है क्योंकि सच्चा लेखक मन की विवशता से प्रकट होता है। यह विवशता तब उपजती है जब मन में अनुभूति की प्रबलता हो। यह विवशता बाहरी घटनाओं को देखकर नहीं उत्पन्न होती है। मन में जब तक अभिव्यक्ति की बेचैनी प्रबल नहीं होती, तब तक लेखक सच्चा लेखन नहीं कर पाता है।
प्रश्न 2.
लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया? [Imp.] [CBSE 2012; CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक हिरोशिमा की घटनाओं के बारे में सुनकर तथा उनके कुप्रभावों को प्रत्यक्ष देखकर भी विस्फोट का भोक्ता नहीं बन पाया। एक दिन वह जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नज़र एक पत्थर पर पड़ी। उस पत्थर पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम-धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाकर उसकी छाया पत्थर पर डाल दी थी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई। उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा। उस समय वह विस्फोट का भोक्ता बन गया।
प्रश्न 3.
मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं? (ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं? [CBSE 2008]
उत्तर:
प्रश्न 4.
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर:
ये बाह्य दबाव निम्नलिखित हो सकते हैं
प्रश्न 5.
क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर:
वाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते हैं, वरन् अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं। ये कलाकार खेल, सिनेमा, संगीत आदि अलग-अलग क्षेत्रों से हो सकते हैं। उदाहरण के लिए जो क्रिकेट या अन्य खेलों के कई खिलाड़ी अच्छा खेल रहे होते हैं, वे संन्यास लेने के बाद दर्शकों की माँग एवं टीम की आवश्यकता को देखते हुए पुनः खेलना शुरू कर देते हैं। सदी के नायक अमिताभ बच्चन निर्माता-निर्देशकों के आग्रह पर आज भी फ़िल्मों और विज्ञापनों में काम कर रहे हैं और संगीत की दुनिया में वरिष्ठ कलाकार अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं।
प्रश्न 6.
हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं? [CBSE]
उत्तर:
हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता को हम उनके आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं। इसके लिए उन्हें न तो किसी संपादक ने आग्रह किया, न किसी प्रकाशक ने तकाज़ा किया। न हीं उन्होंने इसे किसी आर्थिक विवशता के लिए लिखा। इसे उन्होंने शुद्ध रूप से मन की अनुभूति से प्रेरित होकर लिखा। जब पत्थर पर पिघले मानव को देखकर उनके मन में अनुभूति जग गई तो कविता स्वयं लिखी गई। इसलिए हम इस कविता को आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं, किसी बाहरी दबाव का नहीं।
प्रश्न 7.
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र [2008; 2009]
अथवा
हिरोशिमा की घटना का उल्लेख करते हुए बताइए कि मनुष्य किन-किने रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग करने में प्रवृत्त होता जा रहा है? [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग तो है ही, इसके अलावा भी मनुष्य विभिन्न रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग कर रहा है, जिसके दुष्परिणाम जगह-जगह पर देखे जा सकते हैं। विज्ञान के दुरुपयोग के रूप निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; 2009; CBSE 2012]
उत्तर:
मैं संवेदनशील युवा नागरिक हूँ। मैं सारी दुनिया को नहीं बदल सकता। परंतु स्वयं को बदल सकता हूँ। मैं विज्ञान के जिस भी यंत्र की बुराइयों के बारे में जानता हूँ, उनसे दूर रहने का प्रयत्न करता हूँ। मैं प्लास्टिक थैलों तथा वस्तुओं को कम-से-कम प्रयोग करता हूँ। बाजार में उपलब्ध कोक या सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता। पीजा-बर्गर आदि भी नहीं खाता। मैंने संकल्प किया है कि कभी लिंग-भेद का विचार मन में नहीं आने दूंगा। मैं भूलकर भी भ्रूण-हत्या जैसा दुष्कर्म नहीं करूंगा।