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वचनानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
यथा- | वनम् | वने | वनानि |
............ | जले | .......... | |
बिम्बम् | ............ | .......... | |
यथा- | वृक्षम् | वृक्षौ | वृक्षान् |
......... | ........... | पवनान् | |
.......... | जनौ | ............ |
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
यथा- | वनम् | वने | वनानि |
जलम् | जले | जलानि | |
बिम्बम् | बिम्बे | बिम्बानि | |
यथा- | वृक्षम् | वृक्षौ | वृक्षान् |
पवनम् | पवनौ | पवनान् | |
जनम् | जनौ | जनान् |
कोष्ठकेषु प्रदत्तशब्देषु उपयुक्ताविभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
यथा- अहं रोटिकां खादामि। (रोटिका)
(क) त्वं ......................... पिबसि। (जल)
(ख) छात्रः ......................... पश्यति। (दूरदर्शन)
(ग) वृक्षाः ..................... पिबन्ति। (पवन)
(घ) ताः ............................. लिखन्ति। (कथा)
(ङ) आवाम् ............................. गच्छावः। (जन्तुशाला)
(क) त्वं जलं पिबसि। (जल)
(ख) छात्रः दूरदर्शनं पश्यति। (दूरदर्शन)
(ग) वृक्षाः पवनं पिबन्ति। (पवन)
(घ) ताः कथां लिखन्ति। (कथा)
(ङ) आवाम् जन्तुशालां गच्छावः। (जन्तुशाला)
अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदानि चिनुत-
(क) वृक्षाः नभः शिरस्सु वहन्ति।
(ख) विहगाः वृक्षेषु कूजन्ति।
(ग) पयोदर्पणे वृक्षाः स्वप्रतिबिम्बं पश्यन्ति।
(घ) कृषकः अन्नानि उत्पादयति।
(ङ) सरोवरे मत्स्याः सन्ति।
(क) वृक्षाः
(ख) विहगाः
(ग) वृक्षाः
(घ) कृषकः
(ङ) मत्स्याः
प्रश्नानामुत्तराणि एकपदेन लिखत-
(क) वृक्षाः कैः पातालं स्पृश्यन्ति?
(ख) वृक्षाः किं रचयन्ति?
(ग) विहगाः कुत्र आसीनाः।
(घ) कौतुकेन वृक्षाः किं पश्यन्ति?
(क) वृक्षाः पादैः पातालं स्पृश्यन्ति।
(ख) वृक्षाः वनम् रचयन्ति।
(ग) विहगाः शाखादोला आसीनाः।
(घ) कौतुकेन वृक्षाः पयोदर्पणे स्वप्रतिबिम्बम् पश्यन्ति।
समुचितैः पदैः रिक्तस्थानानि पूरयत-
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | गजः | गजौ | गजाः |
अश्वः | ............ | .......... | |
द्वितीया | सूर्यम् | सूर्यौ | सूर्यान् |
........... | ........... | चन्द्रान् | |
तृतीया | विडालेन | विडालाभ्याम् | विडालैः |
.......... | मण्ड़ूकाभ्याम् | ............ | |
चतुर्थी | सर्पाय | ............... | सर्पेभ्यः |
............... | वानराभ्याम् | ............... | |
पञ्चमी | मोदकात् | ............... | .............. |
............... | ............... | वृक्षेभ्यः | |
षष्ठी | जनस्य | जनयोः | जनानाम् |
............... | ............... | शुकानाम् | |
सप्तमी | शिक्षके | ............... | शिक्षकेषु |
............... | मयूरयोः | ............... | |
सम्बोधनम् | हे बालक! | हे बालकौ! | हे बालकाः! |
नर्तक! | ............... | ............... |
विभक्तिः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | गजः | गजौ | गजाः |
अश्वः | अश्वौ | अश्वाः | |
द्वितीया | सूर्यम् | सूर्यौ | सूर्यान् |
चंद्रम् | चंद्रौ | चन्द्रान् | |
तृतीया | विडालेन | विडालाभ्याम् | विडालैः |
मण्डूकेन | मण्ड़ूकाभ्याम् | मण्डकैः | |
चतुर्थी | सर्पाय | सर्पाभ्याम् | सर्पेभ्यः |
वानराय | वानराभ्याम् | वानरेभ्यः | |
पञ्चमी | मोदकात् | मोदकाभ्याम् | मोदकेभ्यः |
वृक्षात् | वृक्षाभ्याम् | वृक्षेभ्यः | |
षष्ठी | जनस्य | जनयोः | जनानाम् |
शुकस्य | शुकयोः | शुकानाम् | |
सप्तमी | शिक्षके | शिक्षकयोः | शिक्षकेषु |
मयूरे | मयूरयोः | मयूरेषु | |
सम्बोधनम् | हे बालक! | हे बालकौ! | हे बालकाः! |
नर्तक! | हे नर्तकौ! | हे नर्तकाः! |
भिन्नप्रकृतिकं पदं चिनुत-
(क) गङ्गा, लता, यमुना, नर्मदा।
(ख) उद्यानम्, कुसुमम्, फलम्, चित्रम्।
(ग) लेखनी, तूलिका, चटका, पाठशाला।
(घ) आम्रम्, कदलीफलम्, मोदकम्, नारङ्गम्।
(क) लता
(ख) चित्रम्
(ग) चटका
(घ) मोदकम्