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गांधी जी को सिर्फ़ उनके नाम और देश के नाम के सहारे पत्र कैसे पहुँच गया होगा?
गांधी जी को देश का बच्चा-बच्चा जानता है तो डाकिए तो जानते ही होंगे। अत: चिट्ठियाँ उनके नाम के सहारे ही पहुँच जाती होंगी।
अगर एक पत्र में पते के साथ किसी का नाम हो तो क्या पत्र ठीक जगह पर पहुँच जाएगा?
हाँ, पत्र ठीक जगह पर पहुँच जाएगा। पता उस व्यक्ति के निवास को दर्शाएगा और नाम से पुष्टि हो जाएगी कि आमुक व्यक्ति इसी स्थान पर रहता है।
नाम न होने से क्या समस्याएँ आ सकती हैं?
नाम न होने से पत्र सही व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाएगा। डाकिए को तथा उस पते में रहने वाले लोगों को पता ही नहीं चल पाएगा कि यह किसका पत्र है?
पैदल हरकारों को किस-किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा?
पैदल हरकारों को पैदल ही जाना पड़ता होगा। साथ ही सर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम का सामना करना पड़ता होगा। लंबी यात्रा के कारण वह अत्यधिक थक जाता होगा। पथरीले रास्ते पर चलने के कारण उसे मार्ग में कई प्रकार की समस्याएँ आती होगीं। जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता होगा। मार्ग में चोर-डाकूओं का भी डर लगा रहता होगा।
अगर तुम किसी को चिट्ठी लिख रहे हो तो पते में यह जानकारी किस क्रम में लिखोगे? गली/मोहल्ले का नाम, घर का नंबर, राज्य का नाम, खंड का नाम, कस्बे/शहर/गाँव का नाम, जनपद का नाम नीचे दी गई जगह में लिखो।
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तुमने इस क्रम में ही क्यों लिखा?
घर का नंबर
गली/मोहल्ले का नाम
खंड का नाम
कस्बे/शहर/गाँव का नाम
जनपद का नाम
राज्य का नाम
पिनकोड क्रमांक
इस क्रम में इसलिए लिखा है क्योंकि पत्र लिखते हुए छोटी इकाई से बड़ी भौगोलकि इकाई की ओर बढ़ते हैं।
अपने घर पर कोई पुराना (या नया) पत्र ढूँढ़ो। उसे देखकर नीचे लिखे प्रश्नों का जवाब लिखो-
(क) पत्र किसने लिखा?
(ख) किसे लिखा?
(ग) किस तारीख को लिखा?
(घ) यह पत्र किस डाकखाने में तथा किस तारीख को पहुँचा?
(ङ) यह उत्तर तुम्हें कैसे पता चला?
(क) पत्र दादाजी ने लिखा। (ख) पिताजी को लिखा। (ग) 5/5/1995 (घ) यह पत्र मोती बाग डाकखाने में 4 मई 1995 को पहुँचा। (ङ) डाकखाने की मोहर पत्र के ऊपर लगी थी, जिस पर यह तारीख लिखी गई थी। पिताजी ने देखकर बताया।
(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर पिताजी या माताजी की सहायता लेकर स्वयं करेंगे।)
चिट्ठी भेजने के लिए आमतौर पर पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या लिफ़ाफ़ा इस्तेमाल किया जाता है। डाकघर जाकर इनका मूल्य पता करके लिखो–
पोस्टकार्ड ……………………………..
अंतर्देशीय पत्र ………………………..
लिफ़ाफ़ा ………………………………
पोस्टकार्ड पचास पैसे
अंतर्देशीय पत्र पाँच रूपए
लिफ़ाफ़ा पाँच रूपए
डाकटिकट इकट्ठा करो। एक रूपये से लेकर दस रूपये तक के डाकटिकटों को क्रम में लगाकर कॉपी पर चिपकाओ। इकट्ठा किए गए डाकटिकटों पर अपने साथियों के साथ चर्चा करो।
छात्र स्वयं करें।
नीचे शब्दकोश का एक अंश दिया गया है जिसमें ‘संचार’ शब्द का अर्थ भी दिया गया है।
संज्ञीतज्ञ – संगीत जानने वाला, संगीत की कला में निपुण। संग्रह – पु. 1. जमा करना, इकट्ठा करना, एकत्र करना, संचय। प्र. दीपक आजकल पक्षियों के पंखों का संग्रह करने में लगा है। 2. इकट्ठी की हुई चीज़ों का समूह या ढेर, संकलन; जैसे – टिकट-संग्रह, निबंध-संग्रह। | संचार – पु. 1. किसी संदेश को दूर तक या बहुत-से लोगों तक पहुँचाने की क्रिया या प्रणाली, कम्यूनिकेशन। उ. टेलीफ़ोन, टेलीविज़न, सेटेलाइट आदि संचार के माध्यमों से दुनिया आज छोटी हो गई है। 2. किसी चीज़ का प्रवाह, चलना, फैलना; जैसे– शरीर में रक्त का संचार, विद्युत् का संचार। |
(क) बताओ कि कौन-सा अर्थ पाठ के संदर्भ में ठीक है?
(ख) इस पन्ने को ध्यान से देखो और बताओ कि शब्दकोश में दिए गए शब्दों के साथ क्या-क्या जानकारी दी गई होती हैं?
(क) संचार का अर्थ किसी संदेश को दूर तक या बहुत से लोगों तक पहुँचाने की क्रिया पाठ के संदर्भ में ठीक है।
(ख) शब्दकोश में दिए गए शब्दों के साथ अर्थ, वाक्य प्रयोग, लिंग, वचन आदि की जानकारी दी जाती है।
पत्रों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। पत्र लिखने की परम्परा बहुत पुरानी है। पत्र जिसके पास लिखा जा रहा है उस तक उचित समय पर पहुँच जाए, इसके लिए हम उस पर डाक टिकट लगाते हैं और पूरा एवं ठीक पता लिखते हैं। फिर पते में सबसे छोटी भौगोलिक इकाई से शुरू करके बड़ी की ओर बढ़ते हैं। छोटी से बड़ी भौगोलिक इकाई का मतलब है घर के नंबर के बाद गली-मोहल्ले का नाम, फिर गाँव, कस्बे, शहर के जिस हिस्से में है उसका नाम, फिर गाँव या शहर का नाम। शहर के नाम के बाद पिनकोड लिखा जाता है। पिनकोड लिखने से गंतव्य स्थान का पता लगाने में डाक छाँटने वाले कर्मचारियों को मदद मिलती है और पत्र जल्दी जल्दी बाँटे जा सकते हैं। पिनकोड की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को डाकतार विभाग ने पोस्टल नंबर योजना के नाम से की। ‘पिन’ शब्द पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number) का छोटा रूप है। किसी भी स्थान का पिनकोड 6 अंकों का होता है। हर अंक का एक खास स्थानीय अर्थ है। उदाहरण के लिए पिनकोड 110016 लें। इसमें पहले स्थान पर दिया गया अंक यानि 1 यह बताता है कि यह पिनकोड दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब या जम्मू-कश्मीर का है। अगले दो अंक यानि 10 यह तय करते हैं कि यह दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के उपक्षेत्र दिल्ली का कोड है। अगले तीन अंक 016 दिल्ली उपक्षेत्र के ऐसे डाकघर का कोड है जहाँ से डाक बाँटी जाती है। समय के साथ डाक सेवाओं में निरंतर बदलाव और विकास होता रहा है। पुराने समय में कबूतरों के द्वारा संदेश भेजे जाते थे। जब संचार और परिवहन के साधन बेहद सीमित थे तब हरकारे पैदल चलकर आम आदमी तक चिट्ठी-पत्री पहुँचाते थे। राजा-महाराजाओं के पास घुड़सवार हरकारे होते थे। इन हरकारों को न केवल हर तरह की जगहों पर पहुँचना होता था बल्कि डाकू, लुटेरों या जंगली जानवरों से डाक की रक्षा भी करनी होती थी। आज भी भारतीय डाकसेवा दुर्गम इलाकों तक डाक पहुँचाने के लिए हरकारों पर निर्भर करती है। आजकल संदेश भेजने के नए-नए और तेज साधन उपलब्ध हैं जिसके परिणामस्वरूप डाक विभाग पत्र, मनीआर्डर, ई-मेल, बधाई कार्ड आदि लोगों तक पहुँचा रहा है। यह सोचकर बड़ी हैरानी होती है कि कबूतर जैसा पक्षी संदेशवाहक का काम कैसे करता होगा। दरअसल कबूतर की सभी प्रजातियाँ संदेश ले जाने का काम नहीं करती। केवल गिरहबाज या हूमर नामक प्रजाति को ही प्रशिक्षित करके डाक संदेश भेजने के काम में लाया जा सकता है। उड़ीसा पुलिस आज भी हूमर कबूतरों का इस्तेमाल राज्य के कई दुर्गम इलाकों में संदेश पहुँचाने के लिए कर रही है। कबूतरों की संदेश सेवा बहुत सस्ती है और उन पर खास खर्च नहीं आता है। इन कबूतरों का जीवन 15-20 साल होता है।