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सेठ ने किस रंग में कपड़ा रंगने को कहा?
सेठ ने अंवती को ऐसे रंग में कपड़ा रंगने को कहा जिसमें कोई रंग न हो क्योंकि वह कपड़ा रंगवाने नहीं उसे परेशान करने आया था।
अवंती ने कपड़ा अलमारी में बंद कर दिया। क्यों?
अवंती को सेठ का इरादा समझ में आ गया इसलिए उसने कपड़े को अलमारी में बंद करके रख दिया।
सेठ कपड़ा लेने किस दिन आया होगा?
सेठ समझ गया कि अवंती को उसकी चाल पता चल गई है इसलिए वह कपड़ा लेने नहीं आया होगा।
नीचे के वाक्यों में कुछ हरी-भरी सब्ज़ियों के नाम छुपे हैं। ढूँढ़ो तो ज़रा –
• अब भागो भी, बारिश होने लगी है।
• मामू लीला मौसी कहाँ है?
• शीला के पास बैग नहीं है।
• रानी बोली – हमसे मत बोलो।
• गोपाल कबूतर उड़ा दो।
अब भागो भी बारिश होने लगी है – गोभी
मामू लीला मौसी कहाँ है – मूली
शीला के पास बैग नहीं है। – बैंगन
रानी बोली-हमसे मत बोलो – सेम
गोपाल कबूतर उड़ा दो – पालक


चित्रों को देखो। क्या इन्हें देखकर तुम्हें कुछ मुहावरे या कहावतें याद आती हैं? उन्हें लिखो।


विद्यालय, गुरुजी, छुट्टी, बंदर, डंडा, पेड़, केला, ताली, बच्चे, भूख। इन शब्दों को पढ़कर तुम्हारे मन में कुछ बातें आई होंगी। इन सब चीज़ों के बारे में एक छोटी-सी कहानी बनाओ और अपने साथियों को सुनाओ।
एक बार विद्यालय में गुरुजी कक्षा में पढ़ा रहे थे। उसी समय छुट्टी की घंटी बज गई। सभी बच्चे अपना बस्ता समेटने लगे। अचानक खिड़की के पास स्थित पेड़ से एक बंदर कक्षा में आ गया। बच्चे उसे देखकर चिल्लाने लगे। गुरुजी के पास एक डंडा रखा था। वह उसी डंडे से बंदर को भगाने लगे परन्तु बंदर नहीं भागा। एक बच्चे के पास केला रखा था। उसने तुरंत अपना केला बंदर के पास फेंक दिया। बंदर भूखा था इसलिए केला उठाकर भाग गया। सभी बच्चे ताली बजाते घर चले गए।
एक रुमाल या कोई छोटा-सा कपड़ा उछालकर देखो। किसका रुमाल सबसे ऊँचा उछलता है?
रुमाल हल्का होता है इसलिए ज़्यादा ऊँचा नहीं उछाल सकते।
(नोट: विद्यार्थी इसे अपने मित्रों के साथ मिलकर करें और स्वयं इस प्रश्न का उत्तर लिखें।)
रूमाल के साथ बिना कुछ बाँधे इसे और ऊँचा कैसे उछाला जा सकता है?
बिना कुछ बाँधे केवल छोटी सी तह बनाकर उछाला जा सकता है।
रंगाई शब्द रंग से बना है। इसी तरह और शब्द बनाओ –
रंग  | रंगाई  | 
साफ़  | ………………….  | 
चढ़  | ………………….  | 
बुन  | ………………….  | 
रंग  | रंगाई  | 
साफ़  | सफ़ाई  | 
चढ़  | चढ़ाई  | 
बुन  | बुनाई  | 
धोना  | धुलाई  | 
महंगा  | महंगाई  | 
जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उनका मतलब बताओ –
• मुझे बैंगनी रंग कतई अच्छा नहीं लगता।  | ………………………………..  | 
• अवंती ने सेठ का मंसूबा भाँप लिया।  | ………………………………..  | 
• मैं तुम्हारा हुनर देखना चाहता हूँ।  | ………………………………..  | 
• सेठ बुलंद आवाज़ में बोला।  | ………………………………..  | 
• सेठ को ईर्ष्या होने लगी।  | ………………………………..  | 
• रंग के बारे में मेरी कोई खास पसंद तो है नहीं।  | ………………………………..  | 
• मुझे बैंगनी रंग कतई अच्छा नहीं लगता।  | बिल्कुल  | 
• अवंती ने सेठ का मंसूबा भाँप लिया।  | इरादा  | 
• मैं तुम्हारा हुनर देखना चाहता हूँ।  | निपुणता, खूबी  | 
• सेठ बुलंद आवाज़ में बोला।  | स्वर, बोली  | 
• सेठ को ईर्ष्या होने लगी।  | जलन, चिढ़न  | 
• रंग के बारे में मेरी कोई खास पसंद तो है नहीं।  | विशेष  | 
आफ़ंती के बारे में कुछ वाक्य लिखो। तुम उसके कपड़ों, शक्ल-सूरत, पालतू पशु, बुद्धि आदि के बारे में बता सकती हो।
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आफ़ंती लम्बा चोगा पहनता था। चेहरे पर दाढ़ी-मूँछे और सिर पर टोपी थी। उसने गधा पाल रखा था। वह बड़ा बुद्धिमान था। वह बुद्धि को ताकत से बड़ा मानता था।
दिन – दीन, मेला – मैला।
ऊपर दिए गए शब्दों के जोड़ों में केवल एक मात्रा बदली गई है। किसी भी मात्रा को बदलने से अर्थ भी बदल जाता है। ऐसे और जोड़े बनाओ। देखें, कौन सबसे ज़्यादा जोड़े ढूँढ़ पाता है।
……………. ……………… ………………… …………………
……………. ……………… ………………… …………………
……………. ……………… ………………… …………………
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सुत  | –  | सूत  | 
जाति  | –  | जाती  | 
कुल  | –  | कूल  | 
मिल  | –  | मील  | 
पीला  | –  | पिला  | 
छिन-छिन  | –  | छीन  | 
हरी  | –  | हरि  | 
पीत  | –  | पित्त  | 
मगर  | –  | मगरमच्छ  | 
पाती  | –  | पाति  | 
कब आऊँ वाले किस्से को चित्रकथा के रूप में लिखो।
इस प्रश्न का उत्तर छात्रों ने स्वयं चित्र बनाकर करना है।
कभी-कभी हम अपनी बात करते हुए ऐसे शब्द भी बोल देते हैं, जिनकी कोई ज़रूरत नहीं होती। इसी तरह इन वाक्यों में कुछ शब्द फ़ालतू हैं। उन्हें ढूँढ़कर अलग करो –
• बाज़ार से हरा धनिया पत्ती भी ले आना।
• एक पीला पका पपीता काट लो।
• अरे! रस में इतनी सारी ठंडी बर्फ़ क्यों डाल दी?
• ज़ेबा, बगीचे से दो ताज़े नींबू तोड़ लो।
• बेकार की फ़ालतू बात मत करो।
• बाज़ार से हरा धनिया पत्ती भी ले आना। (पत्ती)
• एक पीला पका पपीता काट लो। (पीला)
• अरे! रस में इतनी सारी ठंडी बर्फ क्यों डाल दी। (ठंडी)
• ज़ेबा, बगीचे से दो ताज़े नीबू तोड़ लो। (ताज़े)
• बेकार की फ़ालतू बात मत करो। (फ़ालतू)